Varanasi: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा तट पर मणिकर्णिका घाट खास है, यहां चैत्र नवरात्रि पर सप्तमी की रात अद्भुत परंपरा निभाई जाती है।
शहर की युवतियां बाबा महाश्मशान नाथ के सामने नृत्य करती हैं। मान्यता है कि इससे जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।
आयोजक गुलशन कपूर ने बताया कि “बाबा महाश्मशान जी का त्रिदिवसीय श्रृंगार महोत्सव का अंतिम दिन है, जो कि चैत्र नवरात्रि की पंचमी से सप्तमी तक मनाया जाता है और आज अंतिम दिन यहां नगर वधुओं द्वारा नृत्यांजलि प्रस्तुत की जाती है और बाबा का तांत्रिक विधि से पूजन और श्रृंगार होता है। तो अपने यहां सनातन धर्म में एक परंपरा है, कि किसी भी धार्मिक आयोजन में नृत्य-संगीत जरूर प्रस्तुत किया जाता है।
भजन-कीर्तन किया जाता है। तो उस समय के बड़े-बडे कलाकार जो है, श्मशान पर आने को तैयार नहीं हुए थे। तब नगर वधुओं द्वारा नृत्य और संगीत के माध्यम से उस आयोजन को पूर्ण किया गया था।”
मणिकर्णिका घाट पर सप्तमी की रात अंतिम संस्कारों के बीच श्रद्धा और नृत्य की परंपरा अनोखा अहसास है।