Uttar Pradesh: राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर परिसर का निर्माण जून 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, “हम निर्माण कार्य जून 2025 तक पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन प्राचीर और शू रैक को निर्माण सितंबर 2025 तक चलने का अनुमान है।”
नृपेंद्र मिश्रा ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के पदाधिकारियों के साथ-साथ एलएंडटी और टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड के पदाधिकारियों के साथ चल रहे कार्यों की समीक्षा बैठक की।
उन्होंने बताया कि निचले चबूतरे के लिए कुल 85 पत्थर के भित्ति चित्र बनाए जाने हैं। वर्तमान में 60 भित्ति चित्रों का निर्माण कार्य चल रहा है, 21 भित्ति चित्र पहले ही साइट पर आ चुके हैं, और छह ब्रॉन्ज के भित्ति चित्र भी जल्द आएंगे।
राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने कहा, “एक तरह से ये हमारा दृढ़निश्चय है कि हम सभी निर्माण कार्य 2025 में पूरा कर लेंगे और ये कार्यक्रम निर्माण का जो है यदि ईश्वर चाहेंगे तो पूर्ण हो जाएगा। कल उसकी समीक्षा की गई प्रगति देखा गया, तो ऐसा प्रतीत होता है, अनुमान है, आश्वासन भी है कि जून 2025 तक परकोटा को छोड़कर एक नया निर्माण एक नया कार्यक्रम लिया गया है शू रैक का। जहां कि जूते चप्पल जमा होंगे इन दो को संभवत सितबंर 2025 तक जाएगा। बाकी सभी निर्माण कार्य जून 2025 तक पूर्ण होने के लिए हम आश्वस्त हैं।
जो परकोटा में और निचले चबूतरे में जहां पर राम कथा और मर्यादा पुरुषोत्तम के भित्ति चित्र लगने हैं। वो अभी काफी प्रगति उसमें हो गई है। जैसा कि आपको पहले भी ज्ञात है कि निचले चबूतरे में करीब 85 भित्ति चित्र जो पत्थर के हैं वो बनाए जाने हैं जिसमें से अब तक 60 भित्ति चित्र पर ड्राइंग हो गई है और निर्माण का कार्य अलग अलग एक तरीके से प्रगति की स्थिति में है और जो मौके पर आ चुके हैं भित्ति चित्र वो करीब 21 भित्ति चित्र आए हैं। इसी प्रकार से जो ब्रॉन्ज का भित्ति चित्र है वो भी मौके पर अतिशीघ्र आएगा छह आ गए हैं और तीसरा जहां पर कि आप लोगों को अवगत कराया था कि जो ग्राउंड फ्लोर प्रथम तल और द्वितीय तल इस पर जो प्रतिक्षणा है।
जो कि गर्भगृह के पीछे का हिस्सा होता है परिक्रमा का वहां पर विशेष रूप से एक नई जालियों का निर्माण किया जा रहा है जो कि आपको पता है कि एक ऐसी धातु है जिस पर किसी प्रकार का असर नहीं होता है, जो कि बड़ी बड़ी पनडुब्बियों में उसका इस्तेमाल होता है उसको टाइटेनियम कहते हैं तो वो जो जालियां है हम उसे उस प्रकार की धातु से उन जालियों को, जिनकी संख्या लगभग 30 होगी कुल मिलाकर और जिसकी डिजाइन दे दी गई है। एक रक्षा मंत्रालय की कंपनी है वो उनके नियंत्रण में हम बनवा रहे हैं।”