Uttar Pradesh: देश की संसद दिल्ली से तकरीबन 25 किलोमीटर की दूरी पर गुलामी के दौरान आजादी के परवानों ने एक नई इबादत लिखी, नोएडा के नलगढ़ा गांव का आजादी से बेहद खास रिश्ता रहा है। यह गांव कभी शहीद भगत सिंह, राज गुरु, सुखदेव, नेता जी सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज में कर्नल रहे करनैल सिंह की शरण स्थली रहा है। यहां बने गुरुद्वारा में एक पत्थर रखा है। ये वही पत्थर है जिस पर गोला-बारूद को आजमाया जाता था।
ग्रामीणों के मुताबिक भगत सिंह नलगढ़ा गांव में 6 साल रहे, यहां रहकर उन्होंने आजादी की लड़ाई को कामयाब बनाने की रणनीति तैयार की। 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली में असैंबली में बम फेंकने की योजना भगत सिंह ने नलगढ़ा गांव में ही बनाई। नलगढ़ा से क्रांतिकारी नांव से यमुना को पार कर दिल्ली गए थे। यहां से सभी क्रांतिकारी एक साथ निकले, इसके बाद अलग-अलग हो गए।
गुरुद्वारा परिसर में रखा गया है पत्थर
बम बनाने में जिस पत्थर का प्रयोग भगत सिंह ने किया था, वो आज भी गांव के गुरुद्वारा में रखा है। से गुरुद्वारा 1962 में बनाया गया था। इस पत्थर पर लोग मत्था टेकने के लिए दूर-दूर से आते हैं। पत्थर में जगह-जगह गढ्ढे बने हैं। इसमें बारुद को भरकर उसे पक्का किया जाता था। ग्रामीणों ने बताया कि आजादी के बाद यहां कोई भी ऐतिहासिक स्थल नहीं बनाया गया है। कम से कम भगत सिंह, करनैल सिंह और शहीदों की याद में गांव के बाहर एक गेट ही बना दिया जाए।
दिल्ली से कम दूरी और जंगल की वजह से था सेफ पाइंट
दिल्ली से नलगढ़ा की दूरी महज 25 किमी है। ऐसे में दिल्ली से सटा होने की वजह से क्रांतिकारियों की ये पहली पसंद था। यह बाढ़ जोन एरिया और घना जंगल था। यहां उनको ढूंढ पाना आसान नहीं था। बारिश के समय सूरजपुर से नलगढ़ा तक नाव से सफर होता था और यमुना पार कर दिल्ली जाया करते थे।
गुरुद्वारा में रखा ये वहीं पत्थर है जिस पर बम को कसा गया
आज भी म्यूजियम और पार्क को तरस रहा गांव नल गढ़ा के लोगों ने बताया कि करीब 15 साल पहले प्राधिकरण ने गांव में 104 बीघा जमीन पर शहीद भगत सिंह स्मारक बनाने का एक बोर्ड लगाया गया था। ये बोर्ड आज भी लगा है। लेकिन यहां न तो साफ-सफाई की गई और न ही कभी यहां कोई निर्माण शुरू किया गया। बताया गया कि इसी स्मारक को बनाने के लिए फाइल को बढ़ाया गया है। यहां म्यूजियम बनाने का प्रस्ताव भी है। लेकिन फाइलों में दफन हो गया। इसके बदले नोएडा के सेक्टर-150 में शहीद भगत सिंह पार्क बना दिया गया।
इस जमीन पर सिर्फ बोर्ड लगा है यहां बनना था स्मारक
गांव की 50 प्रतिशत आबादी सरदार की गांव में सरदारों के अलावा, सिख जाट, गुर्जर, पंडित व अन्य जाति भी हैं जिनमें 50 प्रतिशत से अधिक सरदार हैं। गौरतलब है कि 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की सेंट्रल असैंबली में बम फेंक गिरफ्तारी दी थी। बताया गया कि यह गांव बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में आता था और घने जंगलों में था। ऐसे में अंग्रेजी हुकूमत से छिपने के लिए यह बेहतर स्थान था।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 23 करोड रुपए की लागत से शहीद भगत सिंह पार्क का निर्माण कराया है। यह पार्क सेक्टर-150 में गगन चुंबी इमारत के बीच बस है गांव में तकरीबन 12 फीट की प्रतिमा भगत सिंह की लगाई गई है। उसके अलावा एक वॉल भी बनाई गई है। जिस पर भगत सिंह राजगुरु बटुकेश्वर दत्त की जीवन का परिचय दिया गया है। देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले इन रणबाकुरों को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर याद करना बेहद जरूरी है।