Uttar Pradesh: विधवाओं के लिए खुशियां और रंग लेकर आई वृंदावन की खास होली

Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के वृंदावन में रह रही इन महिलाओं की जिंदगी कभी खुशियों और रंगों से भरी दिखती थी। अब ये बेरंग सी है। खामोशी से भगवान की भक्ति में डूबी इन महिलाओं ने अपने पतियों को खोने का दुख झेला है।

हालांकि साल में एक बार इनकी जिंदगी में रंग और खुशियां लौट आती हैं। यही वो समय होता है जब वे तीर्थ नगरी के गोपीनाथ मंदिर में होली समारोह में शामिल होती हैं। मुख्य रूप से वृंदावन की विधवाओं के लिए खेली जाने वाली होली उन्हें अपने दुखों को दूर करने और रंग, नृत्य और संगीत में सराबोर होने का मौका देती है।

वृंदावन में बुधवार को खेली गई खास होली में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी शामिल हुए। उन्होंने इसे खास अहसास बताया। विदेशी पर्यटक भी इस खास होली का हिस्सा बनकर खुश दिखे।

सुलभ इंटरनेशनल हर साल विधवाओं के लिए इस खास होली का आयोजन करता है। संस्था से जुड़े लोगों का मानना है कि ये आयोजन इस बात की याद दिलाता है कि इन महिलाओं को उनके भाग्य के भरोसे पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए।

इन विधवा महिलाओं के चेहरों पर ये खुशी भले ही कुछ वक्त के लिए दिखती हो लेकिन ये उम्मीद जगाती है। उम्मीद ये कि समाज इन महिलाओं के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझेगा और उनके साथ उस गरिमा और सम्मान के साथ बर्ताव करेगा जिसकी वे हकदार हैं।

वृंदावन के निवासियों ने कहा, “हर साल यहां गोपीनाथ जी में विधवा होली का आयोजन होता है। बहुत सुंदर सुंदर आयोजन होता है और सभी को यहां आकर जरूर देखना चाहिए, हमारी विधवा माताओं को एक जगह मिलती है, जिनका जीवन नीरस है, जिनके जीवन में उनको लगता है कि कुछ नहीं है, आप, हम उनके जीवन में इतने रंग भर सकें, हम यही कोशिश करते हैं, हर साल अपनी इन प्यारी-प्यारी विधवा माताओं के साथ होली खेलते हैं, उनको बहुत आनंद आता है, हम सबको बहुत आनंद आता है।”

सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस की आयोजक विनीता वर्मा ने कहा, “यहां पर फूलों की होली और सूखे रंगों की होली, अबीर की होली हुई है। मान्यता ये है कि इन माताओं को जो समाज ने वंचित कर रखा था, इनके परिवार ने वंचित कर रखा था, इनको सोसाइटी की मुख्य धारा से जोड़ने की बात है, पूरे समाज के लिए आंख खोलने की बात है कि जो माताएं आपको जन्म देती हैं, सुहागवती कहलाती हैं, जब वही माता जब पति चले जाते हैं तो दुर्भाग्यवश कलंकिनी कहलाती हैं और उनको सभी रंगों से वंचित कर दिया जाता है तो समाज देखे कि ये रंग उनके लिए भी है, ये खुशियां उनके लिए भी हैं।”

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