UP News: जब उपजिलाधिकारी ने मानी गलती और लगाया उठक-बैठक

 UP News:  उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में पुवायां तहसील के उप-जिलाधिकारी रिंकू सिंह राही ने अपनी तैनाती के पहले दिन अपनी ‘गलती’ मानते हुए अधिवक्ताओं की भीड़ में उठक-बैठक लगाई। उप-जिलाधिकारी के पद पर अपनी तैनाती के पहले दिन राही ने तहसील परिसर का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्हें परिसर में काफी गंदगी देखने को मिली। इस दौरान उन्होंने कुछ लोगों को खुले में पेशाब करते हुए देखा तो उनसे उठक-बैठक लगवाई ताकि अन्य लोग ऐसा न करें। बाद में तहसील परिसर में कुछ अधिवक्ताओं ने राही का ध्यान तहसील में व्याप्त गंदगी की तरफ दिलाया तो उन्होंने गलती मानते हुए खुद कान पकड़कर उठक-बैठक लगा दी।

इस घटना की क्षेत्र में खासी चर्चा हो रही है। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी राही ने बताया कि मंगलवार को जब वह तहसील परिसर में निरीक्षण कर रहे थे तभी उन्हें शौचालय के पड़ोस में कुछ लोग पेशाब करते हुए दिखे। जब उन्होंने उनसे शौचालय में जाने को कहा तो उन्होंने मना कर दिया। इसके बाद उन्होंने लोगों को भविष्य में ऐसी हरकत नहीं दोहराने के लिये उनसे उठक-बैठक करवाई।

राही ने बताया, ”तहसील परिसर में ही अधिवक्ता हड़ताल कर रहे थे। वहां मैं उनके पास गया तो वकीलों ने खुले में पेशाब कर रहे लोगों और अन्य लोगों से उठक-बैठक करवाने के कारणों के बारे में पूछा। इस पर मैंने उन्हें कारण बताये। इसके बाद अधिवक्ता कहने लगे कि आपकी तहसील में भी तो काफी गंदगी फैली हुई है। आवारा जानवर घूम रहे हैं और शौचालय गंदे हैं।”

उन्होंने बताया, ”इसी बीच अधिवक्ताओं ने मुझसे कहा कि क्या आप इस कमी के लिये उठक-बैठक कर सकते हैं, तो मैंने हां कर दी क्योंकि हमारी गलती थी। फिर अधिवक्ताओं ने कहा कि आप उठक-बैठक लगा दो तो मैंने लगा दी।” उप जिलाधिकारी ने कहा, ”मुझे तहसीलदार ने बताया है कि यहां 10 दिन पहले काफी गंदगी रहती थी, उन्होंने काफी हद तक गंदगी साफ करवा दी है। इसके बाद भी तहसील में गंदगी है तो यह हमारी गलती है और मैं इसे स्वीकार करता हूं।”

एसडीएम रिंकू सिंह राही ने कहा कि “मैंने आज कार्यभार ग्रहण किया और कार्यभार ग्रहण करने के बाद, तहसील परिसर में घूमते हुए मैंने देखा कि कुछ लोग शौचालय का उपयोग करने के बजाय दीवार पर पेशाब कर रहे थे। जब मैंने उनसे कारण पूछा, तो उन्होंने कहा कि वे शौचालय का उपयोग नहीं करेंगे। उन्हें सावधान करने के लिए मैंने उनसे उठक-बैठक लगवाई ताकि उन्हें अपनी गलती का एहसास हो और वे इसे दोबारा न दोहराएं। इसके बाद, तहसील का निरीक्षण करते समय मुझे कुछ वकील विरोध प्रदर्शन करते हुए मिले।

मैंने उनसे पूछा कि मामला क्या है, लेकिन उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया और कहा कि वे केवल एडीएम से ही बात करेंगे। फिर उन्होंने मुझ पर आरोप लगाना शुरू कर दिया और पूछा कि मैंने लोगों से उठक-बैठक क्यों लगवाई। मैंने उन्हें कारण बताया। फिर उन्होंने बताया कि शौचालय गंदे हैं और कई अन्य समस्याएं हैं। उन्होंने पूछा कि क्या मैं भी उठक-बैठक लगाऊंगा। मैंने कहा, “हां, यह मेरी गलती थी और मैंने उठक-बैठक लगाई।”

वही अधिवक्ता वीरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि “सुबह एसडीएम तहसील आए, तहसील भवन के पीछे उन्होंने एक वकील के क्लर्क को पेशाब करते देखा। एसडीएम ने पूछा कि वह वहां पेशाब क्यों कर रहा है, तो क्लर्क ने जवाब दिया कि वहां जाने के लिए और कोई जगह नहीं है। फिर एसडीएम ने उसे सज़ा के तौर पर उठक-बैठक लगवाई

बाद में, जब एसडीएम धरना स्थल पर आए, तो हमने क्लर्क को उठक-बैठक लगवाने के उनके फैसले पर चिंता जताई। हमने उनसे कहा कि तहसील के एक वरिष्ठ अधिकारी होने के नाते ऐसी हरकतें ठीक नहीं हैं। इस पर उन्होंने कहा, “अगर आप मुझे अधिकारी मानते हैं, तो मैं भी उठक-बैठक लगाऊंगा” और उन्होंने वहां उठक-बैठक लगाई।”

 

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