Sambhal: संभल में 46 साल बाद खुले मंदिर की कार्बन डेटिंग कराने की मांग

Sambhal: संभल में अतिक्रमण और बिजली चोरी के खिलाफ जारी अभियान के बीच जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि करीब 46 साल बाद खोले गए मंदिर और कूप की कार्बन डेटिंग के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को पत्र लिखा गया है।शहर में सांप्रदायिक दंगों के बाद 1978 से बंद मंदिर को फिर से खोला गया है। राजेंद्र पेंसीया ने बताया कि “यह कार्तिक महादेव का मंदिर है और यहां एक कूप (कुआं) मिला है जो अमृत कूप है, मंदिर में पूजा भी शुरू हो गई है।”

राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि “मंदिर तीन तरफ से अतिक्रमण किया हुआ है और एक तरफ से एक हिस्सा दिखाई दे रहा था। ये मंदिर अतिक्रमण मुक्त किए जाने के बाद मिला। स्थानीय लोगों का कहना है कि ये 500-1000 साल पुराना मंदिर है। फिर लोगों ने हमें बताया कि वहां एक कुआं था, जिसके ऊपर एक रैंप बनाया गया था। रैंप को तोड़ दिया गया और एक कुआं मिला है।”

इस बीच पुलिस अधीक्षक (एसपी) कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि मंदिर की सुरक्षा की दृष्टि से पूरे इलाके को सीसीटीवी से कवर किया गया है और यहीं पर कंट्रोल रूम भी बनाया जा रहा है जिससे यहां चौबीसों घंटे सुरक्षा व्यवस्था बनी रहे और कोई अराजक तत्व यहां ना आ सके। इसके अवाला प्रांतीय सशस्त्र पुलिस बल (पीएसी) के जवानों को भी मौके पर तैनात किया गया है, भस्म शंकर मंदिर को शुक्रवार को फिर से खोल दिया गया। ये मंदिर खग्गू सराय इलाके में स्थित है, जो जामा मस्जिद से सिर्फ एक किलोमीटर दूर है, जहां 24 नवंबर को सर्वे के विरोध में हिंसा हुई थी, इस मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति और एक शिवलिंग है।

डीएम राजेंद्र पेंसिया ने ख कि “तीन ओर से अंदिर पर अतिक्रमण है और एक ओर से थोड़ा हिस्सा दिखाई दे रहा था।जब इसे अतिक्रमण मुक्त किया तो ये मंदिर निकला है और बहुत पुराना मंदिर प्रतीत होता है। यहां के लोग बताते हैं कि 400-500 से लेकर लगभग एक हजार साल पुराना मंदिर है। किसी ने बताया कि इसके सामने एक कुआं भी है, उस कुएं की भी पहले पूजा होती थी, उसपर रैंप बना लिया गया था। उस रैंप को तोड़ा गया तो फिर उसके नीचे कुआं निकला है। तो इस पूरे ढांचे को हम सुरक्षित भी करेंगे और एएसआई से भी मांग करेंगे कि वे आएं।”

“कुआं कोई साधारण चीज नहीं हैं, ये जल संरक्षण का महत्वपूर्ण स्थान होते थे, जल संरक्षण का भी और जल उपलब्धता का भी। तो दोनों रूप में हम इसे सुरक्षित करेंगे। मंदिर पर तीन तरफ से अतिक्रमण था, एक तरफ से थोड़ा सा दिख रहा था, तो इसको ठीक तरह से अतिक्रमण मुक्त कराया है। जो लोग हैं यहां के वे स्वयं आगे आए हैं, वे कहते हैं मरम्मत कराएंगे, तो वे मरम्मत कराएंगे फिर पूजा-पाठ शुरू होगी यहां पर।”

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