Saharanpur: सहारनपुर के फल बिक्रेता, चिड़ियों बेसहारा जानवरों को देते हैं खाना-पानी

Saharanpur:  उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के कंपनी बाग में हर रोज सुबह 61 साल के विजय कुमार बोतलों में पानी भरते दिख जाते हैं। इसके बाद विजय बागीचे में रखे करीब 20 मिट्टी के बर्तन साफ करते हैं और उनमें पानी भरते हैं। इन बर्तनों का पानी चिड़ियों और जानवरों के पीने के लिए होता है।

पेशे से फल बेचने वाले विजय पिछले करीब पांच साल से नियमित रूप से ये काम कर रहे हैं, इसकी प्रेरणा उन्हें अपने पिता से मिली, जिनका आठ साल पहले निधन हो गया था।

इसके बाद बारी आती है सड़क के बेसहारा कुत्तों की। विजय उनके लिए खाने से भरे बैग लेकर पार्क पहुंचते हैं, जहां कुत्ते बेसब्री से उनका इंतजार करते हैं।

यह दिनचर्या उनके जीवन का हिस्सा बन गई है। एक दिन भी इससे चूकने पर उन्हें बेचैनी महसूस होने लगती है, विजय कहते हैं कि वे गर्मियों में कम से कम तीन घंटे और सर्दियों में दो घंटे चिड़ियों और जानवरों के लिए बर्तनों में पानी भरते हैं।

इस नेक काम का खर्च वे खुद वहन करते हैं, विजय को उम्मीद है कि उनका समर्पण औरों को भी जानवरों और चिड़ियों की देखभाल के लिए प्रेरित करेगा।

फल बेचने वाला विजय कुमार ने बताया कि “मेरे फादर जो है, कई साल से तुलसी लगाते थे घर में। उसके बीज बोते थे। उसके पौधे बनाते थे। पौधे बनाने के बाद अलग-अलग लगाते थे। उसको बड़ा करके मंडियों में ले जाते थे, सत्संग में ले जाते थे, सब जगह ले जाते थे। उनके मरने के बाद ये बात मन में आई कि कुछ करूं। मैंने थोड़ा सा काम करना चाहा। एक-दो बोतल लाया भरके और डाला, पानी। फिर इनमें काई पड़ी। काई साफ करी। फिर आहिस्ता-आहिस्ता मेरी लगन लगती चली गई।”

“2020 से शुरु किया ये काम मैंने आहिस्ता-आहिस्ता। किसी दिन नहीं आता हूं, बाहर हूं या बीमार हूं, कोशिश करता हूं कि जल्द आ जाऊं। कुछ दिन मैं सहारनपुर में था। सहारनपुर में मुझे अजीब से महसूस हुआ कि तुमने आज कुछ किया नहीं। वहां पक्षी इंतजार कर रहे होंगे। पानी भरा, नहीं भरा, साफ करा, नहीं करा। यही मन से आवाज निकलती थी।”

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