Mathura: जैसे-जैसे होली का त्योहार करीब आता है, यह कारीगर होलिका और प्रह्लाद की मूर्तियां बनाने में व्यस्त हो जाते हैं। छोटी होली पर होलिका दहन में होलिका की मूर्ति को आग के हवाले किया जाता है। ये कारीगर हर होली पर पूरी लगन के साथ इन खास मूर्तियों को बनाते दिखते हैं। वे इस परंपरा को पीढ़ियों से निभाते चले आ रहे हैं।
होलिका दहन की कथा पाप पर धर्म की विजय का प्रतीक है। हिंदू पुराणों के मुताबिक हिरण्यकश्यप नाम का राक्षस राजा अपने बेटे प्रह्लाद को मारना चाहता था क्योंकि वो भगवान विष्णु का भक्त था। घमंडी और अहंकारी राजा चाहता था कि उसका बेटा उसकी पूजा करे। ऐसा करने के लिए उसने अपनी बहन होलिका की मदद ली, जिसे वरदान मिला था कि आग उसे जला नहीं सकती।
होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर धधकती आग में बैठ गई। उसे उम्मीद थी कि प्रह्लाद मर जाएगा, लेकिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त को कोई नुकसान नहीं पहुंचने दिया। इसलिए होलिका जल गई, जबकि प्रह्लाद सुरक्षित बच गये। मान्यता है कि तब से ही बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर सदियों से हर साल होलिका दहन किया जाता है, होली का त्योहार इस साल 14 मार्च को मनाया जाएगा। होलिका दहन एक दिन पहले यानी 13 मार्च को होगा।
राम भरोसे, मूर्तिकार “दिल्ली, आगरा, पंजाब, कलकत्ता, कानपुर, इलाहाबाद, मैनपुरी, इटावा, शिकोहाबाद, फिरोजाबाद यहां का व्यापारी आता है, देखता है और वो ले जाता है अपने घर की होली अपने मोहल्ले की होली अच्छी मनाते हैं। कहते हैं कि भक्त प्रह्लाद हमारे यहां आएं, हमारे घर में भी ऐसे ही भक्त प्रह्लाद आएं।”
कारीगरों का कहना है कि “यह मैं होलिका माता तैयार कर रही हूं और इनको अच्छी तरह से सजाना होता है, मतलब तैयार करना होता है। अच्छी तरह से दुल्हन की तरह सजाना होता है। और इन्होंने गलत का साथ दिया था इसलिए इनको होली के दिन दहन किया जाता है होलिका दहन वाले दिन। जलाया जाता है तो बुरा तो लगता ही है इतनी मेहनत होती है। लेकिन जो उन्होंने किया वो तो उसका फल है।”
मूर्तिकार राम किशोर ने बताया कि “यह होलिका की भक्त प्रह्लाद की मूर्तियां तैयार हो रही हैं और दीपावली से इनको बनाने में लगते हैं। इनसे ही हमारा सालभर का कारोबार खानेपीने का निकलता है और ये भक्त प्रह्लाद है और ये होलिका मैया हैं। ये जलती हैं तो थोड़ा दुख भी होता है दुख इसलिए होता है क्योंकि हमने श्रंगार किया है, सजाया हुआ है और देवी जल रही हैं पर बुराई थी। पूर्वजों से सुनते आ रहे हैं कि होलिका एक बुराई थी राक्षसनी थी और उन्होंने हमारे भक्त प्रह्लाद की जान लेने की कोशिश की थी। भक्त प्रह्लाद अग्नि से निकलकर आए थे वो भक्त प्रह्लाद थे।”
राम किशोर कस्बों, शहरों और राज्यों के नाम इतनी सहजता से बता देते हैं, जैसे कोई वेटर किसी रेस्तरां का मेन्यू बताता है। उत्तर प्रदेश के मथुरा में किशोर और उनके जैसे कारीगर देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाते रहे हैं। ये कला उन्हें अपने पूर्वजों से विरासत में मिली है।