Mahakumbh: सनातन धर्म के ध्वज वाहक 13 अखाड़े तैयार कर रहे अपने-अपने अखाड़े का डेटा बेस

Mahakumbh: प्रयागराज महाकुम्भ को दिव्य, भव्य, स्वच्छ, सुरक्षित और व्यवस्थित स्वरूप देने के लिए प्रदेश की योगी सरकार तकनीकी और नवाचार की मदद ले रही है। महाकुम्भ को डिजिटल स्वरूप दिया जा रहा है। इससे समय की बचत होती है, मितव्ययिता और पारदर्शिता भी बढ़ती है। सरकार के इसी नक्शे कदम पर अब सनातन धर्म के ध्वज वाहक 13 अखाड़े भी चल पड़े हैं, डिजिटल युग में अखाड़े भी डिजिटलाइज हो रहे हैं।

सनातन धर्म के ध्वज वाहक 13 अखाड़े अपनी-अपनी समृद्ध धार्मिक परंपराओं को संरक्षित रखते हुए समय के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं। डिजिटल युग के मौजूदा दौर में इन अखाड़ों ने भी अपने प्रबंधन में डिजिटलाइजेशन का सहयोग लेना शुरू कर दिया है। अखाड़े अपना-अपना डाटा बेस तैयार कर रहे हैं। पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी के सचिव महंत जमुना पुरी कहते हैं कि हमारे अखाड़े में कंप्यूटर और बही खाता दोनों का इस्तेमाल हो रहा है, अखाड़े की ऑडिट में इससे बहुत मदद मिलती है। इनकम टैक्स दाखिले के लिए जो भी रिकॉर्ड रखना होता है वह इसी डाटा बेस में रहता है। इसी से फाइल चार्टर्ड अकाउंट को शेयर कर दी जाती है।

पंच अग्नि अखाड़े के महामंत्री सोमेश्वरानंद ब्रह्मचारी बताते हैं कि महाकुम्भ में हमारे अखाड़ों के ऑडिट होते हैं। एक दौर था जब हम बही खाते से इसकी जानकारी ऑडिट के लिए देते थे लेकिन अब हम सबके पास गैजेट हैं। हमारा अखाड़ा संस्कृत विद्यालय भी चलाता है। इन विद्यालयों में छात्रों की संख्या से लेकर विद्यालय की आय-व्यय की पूरी जानकारी भी इसी डाटा बेस के माध्यम से हम एकत्र रखते हैं।

सनातन धर्म के 13 अखाड़े अध्यात्म, भक्ति और साधना के प्रचारक और प्रसारक मात्र ही नहीं हैं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इनके आचार्यों द्वारा कई वैश्विक अभियान भी चलाए जा रहे हैं। आवाहन अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अरुण गिरी जी का कहना है कि धर्म के साथ मानवता बचाने के लिए भी संत कार्य कर रहे हैं। इसी के अंतर्गत वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए वह वृक्षों को रोपित करने करने का अभियान चला रहे हैं जिसका डाटा बेस भी वह बनवा रहे हैं। इससे उनका समय बचता है , पारदर्शिता स्थापित होती है और प्रबंधन में भी मदद मिल रही है।

आदिवासी और वंचित समाज के साथ सनातन धर्म की निकटता स्थापित करने में डाटा बेस उपयोगी साबित होगा। श्री पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी के महा मंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती जी कहते हैं कि अन्वेषण और विस्तार के लिए अखाड़ों को डिजिटल युग के अनुरूप ही इसे स्वीकार करना होगा। उनका कहना है कि आदिवासी समाज को जागृत कर उन्हें सनातन धर्म की परम्परा से जोड़ने की उनकी आदिवासी विकास यात्राओं का उनका अनुभव भी यही है कि वंचित समाज में सनातन धर्म की जड़ों को मजबूत करने के लिए उनकी जानकारी एकत्र कर उसका डाटा बेस तैयार करना एक आवश्यकता है। इसके लिए वह स्वयं प्रयत्न कर रहे हैं।

वैष्णव अखाड़ों में भी डाटा बेस बनाने पर सहमति है लेकिन कुछ तकनीकी समस्याएं होने की वजह से इसे आने वाले समय में अमल में लाने की बात अखाड़े कह रहे हैं। अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अणि अखाड़े के श्री महंत राम जी दास का कहना है कि संन्यासी सम्प्रदाय के अखाड़ों की तरह वैष्णव अखाड़ों के पास अपने ट्रस्ट नहीं हैं। इसलिए ऑडिट की आवश्यकता उन्हें नहीं पड़ती। लेकिन यह मौजूदा दौर की सच्चाई है कि डिजिटल युग के दौड़ में वैष्णव अखाड़ों को भी अपने अपने अखाड़ों के डाटा बेस बनाने होंगे।

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