Maha Kumbh: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने अनूठी पहल की है, संस्थान के सदस्य देश भर से आए श्रद्धालुओं को अलग-अलग भाषाओं में आध्यात्मिक ज्ञान दे रहे हैं।
उपदेशक गायत्री भारती ने बताया कि “सभी लोग ईश्वर को मानते हैं। लेकिन ईश्वर को मानते तक सीमित नहीं होगा, हमें ईश्वर को जानना होगा और जानेंगे तब जब हम उनके दर्शन करेंगे और मैंने खुद दर्शन किया है तो इसीलिए गुरूदेव श्री आशुतोष महाराज जी के गाइडेंस में मैं सभी को ये अवेयरनेस क्रिएट करना चाहती हूं कि ईश्वर को जानिए, ईश्वर को देखिए, वो भी अपने भीतर।”
उपदेशक दीपा भारती ने कहा कि “केवल संस्कृति में नहीं सभी भाषाओं में यहां पर देश के विभिन्न प्रांतों से प्रचारक दिव्य गुरू श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य एवं शिष्याएं उपस्थित हैं और वो हर लैंग्वेज में लोगों को संदेश दे रहे हैं कि ईश्वर का दर्शन होता है, ईश्वर का दर्शन संभव है।तो यहीं संदेश दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का मोटिव ही यही है, प्रत्येक व्यक्ति अपने भीतर छुपी उस डिविनिटी को जाने और वो डिविनिटी कैसे बाहर होगी कैसे रिवील होगी इसका संदेश बहुत सरल भाषा में और उनको उन्हीं की भाषा में यहां पर समझाया जा रहा है।”
महाकुंभ मेले में देश भर से श्रद्धालु आ रहे हैं। संस्थान के सदस्यों का कहना है कि वे भाषा को आध्यात्मिक ज्ञान के आड़े नहीं आने देना चाहते। उपदेशक विवेक ने कहा कि “इस पंडाल में हर राज्य से हर कोई आ रहा है। जब हम तमिलनाडु से यहां ट्रेन में बैठे थे तो हमें देखा था कि इस प्रयागराज के इस कुंभ के लिए कई सारे लोग दक्षिण भारत से भी आए थे। रूरल एरिया से आए थे तो वो वहां थे तो जब ट्रेन में सफर कर रहे थे तो हम उनसे बात कर पा रहे थे कि लोग बात नहीं कर पा रहे थे। तो जब वो व्यक्ति यहां पर विजिट करेंगे, आएंगे तो आप उसको हिंदी और इंग्लिश में बोलेंगे तो वो उतना नहीं समझ पाएंगे, जब उनकी भाषा में ही उनको बताएंगे तो उनको सारी बात बहुत इजीली समझ में आएगी।”
साध्वी तपेश्वरी भारती, मीडिया प्रवक्ता, दिव्य ज्योति जागृति संस्थान “हमने यहां पर एक मल्टीलिंगुअलिस्म स्पिरिचुअल काउंसलिंग सेवा को उपलब्ध करवाया है। यहां पर दिव्य गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के बहु भाषी साधु-संयासी और साधी शिष्य हैं, सैकड़ों की संख्या में, अलग-अलग राज्यों से यहां आए हैं और यहां पर जो भी तीर्थयात्री आ रहे हैं, वो उनको उन्हीं की भाषा में भारत की उस राज्य की जिस भाषा जिस राज्य से वो आ रहे हैं उन्हीं की भाषा में वो विचार-विमर्श, चर्चा कर रहे हैं।”
भारतीय भाषाओं में आध्यात्मिक ज्ञान देने के अलावा, दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने एक शिविर भी लगाया है, ये शिविर पर्यावरण संरक्षण का उल्लेखनीय उदाहरण है। नौ एकड़ में फैले शिविर को पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल सामानों से बनाया और सजाया गया है, खास कर एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक का बिल्कुल ही उपयोग नहीं किया गया है।