Gonda: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में रह रहे दिव्यांग दीपक त्रिपाठी ने कोरोना में अपने जैसे दिव्यांगों के साथ मिलकर नमकीन की फैक्ट्री शुरू की थी, अब इस फैक्ट्री में 40 से ज्यादा दिव्यांगकाम करते हैं। यह सभी मिलकर रोजाना तकरीबन तीन सौ किलो नमकीन बना लेते हैं।
फैक्ट्री में काम करने वाले लोग बताते हैं कि इस काम से उन्हें रोजगार का पक्का जरिया मिल गया है, अपनी फैक्ट्री में बनी नमकीन की सप्लाई के लिए इन लोगों ने सरकार से ई रिक्शा के लिए आर्थिक मदद की मांग की है।
फैक्ट्री में बनी नमकीन की सप्लाई पूरे गोंडा जिले में की जाती है। एक किलो वाले नमकीन के पैकेट की कीमत 120 रुपये है। दीपक त्रिपाठी ने दिव्यांग होते हुए भी जिस जज्बे का परिचय दिया है वो वाकई काबिल ए तारीफ है। इससे वो खुद तो पैरों पर खड़े हुए ही हैं, अपने जैसे दूसरे दिव्यांगों को भी आत्मनिर्भर बनाया है।
कार्यकर्ताओ का कहना है कि हमेशा यही सोचते थे कि हमारे भी कोई कमाने का जरिया हो जाता तो कितना अच्छा था। इसलिए मजे से जो इनसे दिपक जी से संपर्क हुआ, उन्होंने बोला कि आप जैसे दिव्यांग जन अगर इकट्ठा हो जाओ तो हम बता दें कि उसी कमाने वाला जरिया बांध देंगे और उसी से आपका जीवन व्यतीत हो जाएगा और आप घबराओएगे भी नहीं। हमने 2020 से शुरू किया था जब कोरोना काल था। उस समय हमारे मन में आया कि दिव्यांग लोग सिर्फ बैठे रहते हैं, कुछ नहीं कर पाते। इसलिए कुछ ऐसा काम किया जाए, जिससे लोगों को फायदा हो। इसीलिए हमने इसे शुरू किया। इसमें अधिकतर विकलांग लोग काम करते हैं और मैं भी विकलांग हूं।”
इसके साथ ही कहा कि “हम सामान पैक करके बाजार में बेचने के लिए ले जाते हैं, हमारे पास बैटरी से चलने वाली एक बड़ी गाड़ी है, जिसे हम उसी गाड़ी पर लादकर बाजार ले जाते हैं और वहां से सामान बेचते हैं। लेकिन हम उन दुकानों तक नहीं जा पाते हैं जो काफी अंदर हैं। हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि हमें एक छोटा रिक्शा मिल जाए ताकि हम उस पर सामान लादकर अंदर ले जा सकें क्योंकि बड़ी गाड़ी को अंदर ले जाने में हमें दिक्कत होती है। लेकिन अगर हमारे पास छोटी गाड़ी है तो हम सामान अंदर ले जा सकते हैं।”