CM Yogi: यूपी का आम अब और खास बनेगा, इसका श्रेय योगी सरकार द्वारा चंद माह पहले लिए गए एक फैसले को जाता है, फैसले के तहत अब आम उत्पादकों को आम के पुराने वृक्षों के लिए पेडों की ऊंचाई कम करने और उनकी उत्पादकता बनाये रखने के लिए काट-छांट के लिए किसी सरकारी विभाग से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।
इस फैसले से आम के पुराने बागों का कैनोपी प्रबंधन आसान हो गया है, इसका नतीजा आने वाले कुछ सालों में दिखेगा। कैनोपी प्रबंधन के कारण आम के पुराने बाग नए सरीखे हो जाएंगे, फलत अच्छी होने से उत्पादन तो बढ़ेगा ही, फलों की गुणवत्ता भी सुधरेगी, इससे निर्यात की नई संभावनाओं के द्वार भी खुलेंगे।
आम उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण फलों में से एक है, प्रदेश में 2.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम की खेती से 45 लाख टन आम पैदा होता है। प्रदेश में चालीस वर्ष से अधिक उम्र के बगीचे लगभग 40 फीसद (लगभग 1 लाख हेक्टयर) हैं। इन बागों में पुष्पन और फलत के लिए जरूरी नई पत्तियों और टहनियों की संख्या कम हो चुकी हैं।
ऐसे पेडों में कीट और बीमारियों का प्रकोप अधिक है और दवा अधिक लगने के साथ दवा का छिडकाव भी मुश्किल है, आम के भुनगे और थ्रिप्स के नियंत्रण के लिये छिडकी गई दवा अंदर तक नहीं पहुच पाती है। दवा की अधिक मात्रा से छिडकाव करने पर पर्यावरण भी प्रदूषित होता है, ऐसे बागों की उत्पादकता बमुश्किल 7 टन तक मिल पाती है जबकि एक बेहतर प्रबंधन वाले प्रति हेक्टेयर आम के बाग से 12-14 टन उपज लेना संभव है।
फिलहाल तो 15 साल से ऊपर के तमाम बाग जंगल जैसे लगते हैं, पेड़ों की एक दूसरे से सटी डालियां, सूरज की रोशनी के लिए एक दूसरे से प्रतिद्वंदिता करती मुख्य शाखाएं। कुल मिलाकर इनका रखरखाव संभव नहीं, इसके नाते उत्पादन और उत्पाद की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, कैनोपी प्रबंधन ही इसका एक मात्र हल है। इससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों सुधरेगी, निर्यात की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।