Ayodhya: उत्तर प्रदेश की अयोध्या नगरी एक ऐतिहासिक क्षण के लिए पूरी तरह तैयार है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर के शिखर पर धर्म-ध्वजा फहराएंगे। ये धर्म-ध्वजा मंदिर निर्माण के औपचारिक समापन का प्रतीक होगा और इस मौके को लेकर शहर में उत्सव जैसा माहौल है। साथ ही सुरक्षा व्यवस्था भी बेहद कड़ी कर दी गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पूरे अयोध्या में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। एटीएस कमांडो, एनएसजी स्नाइपर्स, साइबर और तकनीकी विशेषज्ञों समेत कुल 6,970 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। सुरक्षा के लिए ड्रोन-रोधी सिस्टम, उन्नत निगरानी कैमरे, एक्स-रे और वाहन स्कैनर, मेटल डिटेक्टर, बीडीएस दस्ते, सीसीटीवी मॉनिटरिंग, तेज प्रतिक्रिया वाहन और एंबुलेंस भी चौबीसों घंटे सक्रिय रखी गई हैं।
ध्वज का आकार 10 फीट × 20 फीट होगा। इस भगवा ध्वज पर भगवान राम की वीरता का प्रतीक चमकता हुआ सूर्य, ‘ॐ’ चिन्ह और पवित्र कोविदारा वृक्ष अंकित हैं। इसे उत्तर भारतीय नागर स्थापत्य शैली में निर्मित मंदिर शिखर पर फहराया जाएगा, जो दक्षिण भारतीय परंपरा में बने लगभग 800 मीटर लंबे परकोटे के ऊपर स्थित है। ये मंदिर भारत की विविध वास्तुकला शैली को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री मोदी सप्तमंदिर परिसर जाकर महर्षि वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज गुहा और माता शबरी को समर्पित मंदिरों में दर्शन करेंगे। इसके बाद वह शेषावतार मंदिर, माता अन्नपूर्णा मंदिर और राम दरबार गर्भगृह में पूजा-अर्चना करेंगे। मुख्य समारोह से पहले वे रामलला गर्भगृह में भी दर्शन करेंगे।
ये आयोजन विवाह पंचमी के दिन हो रहा है, जिसे भगवान राम और माता सीता के दिव्य मिलन का शुभ अवसर माना जाता है, साथ ही ये दिन गुरु तेग बहादुर जी के शहादत दिवस से भी मेल खाता है, जिन्होंने 17वीं शताब्दी में अयोध्या में 48 घंटे तक ध्यान किया था।
मंदिर परिसर अब और भी भव्य बना दिया गया है। बाहरी दीवारों पर वाल्मीकि रामायण के 87 प्रसंग जटिल पत्थर नक्काशी के रूप में उकेरे गए हैं। वहीं परकोटे के साथ 79 कांस्य पट्टिकाएं लगाई गई हैं, जिनमें सांस्कृतिक प्रसंग दर्शाए गए हैं।