Auraiya: उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में स्थित मां मंगला काली मंदिर में चैत्र नवरात्रि के मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है, बीते दौर में ये मंदिर उस समय के कुख्यात डकैतों का पसंदीदा धार्मिक स्थल हुआ करता था।
हालांकि खूंखार डकैत भी रॉबिन हुड जैसी छवि रखते थे। बताया जाता है कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं से वे कुछ नहीं कहते थे, मंदिर के बारे में एक और लोकप्रिय मान्यता उस दौर की है जब अंग्रेज भारत में अपना शासन स्थापित कर रहे थे।
इसके पीछे जो भी सच्चाई हो, अपने सुदूर स्थान के बावजूद इस मंदिर की बहुत मान्यता है। मंदिर के पास से यमुना नदी बहती है और घना जंगल भी है। इस सबके बावजूद दूर-दूर से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
पुजारी सुधीरानंद जी महाराज ने कहा कि “फूलन देवी, विक्रम, बाबू गुर्जर, बलवान, निर्भय, फक्कड़ सभी यहां दर्शन के लिए आते थे। वे अपने झंडे चढ़ाते थे और पूड़ियां और मिठाइयां भी बंटवाते थे।”
इसके साथ ही श्रद्धालुओ का कहना है कि “पहले जब दस्युओं की गोलियों की आवाज गूंजती थी तो भक्त आते थे और अपनी मन्नतें मांगते थे।डकैत भी आते थे, लेकिन कभी किसी भक्त को कोई डकैत परेशान नहीं करता था, न ही उनसे कुछ छीनता था, न ही उन्हें परेशान करता था, वे आते थे और पूजा करके चले जाते थे। हमने सुना है कि डकैत रात में आते थे और भक्त दिन में आते थे। शायद इसीलिए डकैत कभी किसी को परेशान नहीं करते थे। आज सरकार का नियंत्रण बढ़ गया है और डकैत नहीं रहे तो अब बहुत सारे लोग आते हैं, दूर-दूर से भी।”
“यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है, जो 1857 से पहले का है। पास में ही एक गांव था जिसका नाम था भटपुरा, उसी गांव के लोगों ने यह मंदिर बनवाया था। 1858 में जब कुछ अंग्रेज यमुना पार कर रहे थे, तो इस मंदिर के कुछ लोगों ने उन्हें रोका। गुस्से में उन्होंने भटपुरा गांव को उजाड़ दिया। उन्होंने इस जगह पर बम फेंके और मंदिर को भी नुकसान पहुंचाया, लेकिन मां की कृपा से मंदिर को कुछ नहीं हुआ। अब यहां 100 किलोमीटर दूर से भी लोग आते हैं। नौदुर्गा जैसे मौकों पर मंदिर में काफी भीड़ होती है।”