Atal Vajpayee: सीएम सिटी गोरखपुर से था अटल जी का खास रिश्ता

Atal Vajpayee: पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे राजनेता थे जो विपरीत परिस्थितियों में भी किसी से संवाद और समन्वय स्थापित कर सकते थे, यह उनके व्यक्तिव की विराटता का सबूत था। उनकी इसी खूबी के नाते उनको किसी दायरे में नहीं बांधा जा सकता। वह पूरे देश और सबके थे, बावजूद इसके जैसे हर किसी का कुछ जगहों से खास रिश्ता होता है, वैसे ही उनका भी था।

पिता की नौकरी के नाते बचपन ग्वालियर में गुजरा। कानपुर से उन्होंने पढ़ाई की तो लखनऊ को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि बनाया, पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर से उनका रिश्ता तो बेहद खास था। वजह थी गोरखपुर में बड़े भाई प्रेम वाजपेई की ससुराल होना। इस शादी में वह 1940 में सहबाला बनकर आए थे। मां की मौत के बाद वह ग्वालियर की जगह गोरखपुर आना ही पसंद करते। और लंबे समय तक रुकते थे राजनीतिक व्यस्तता बढ़ने के साथ ही यह सिलसिला कम होता गया।

दरअसल अटलजी के बड़े भाई प्रेम वाजपेयी की ससुराल गोरखपुर के आर्यनगर या अलीनगर स्थित माली टोला में रहने वाले स्वर्गीय मथुरा प्रसाद दीक्षित के घर है। 84 साल पहले वह बड़े भाई की शादी में सहबाला बनकर गोरखपुर आए थे। ड्रेस थी, हॉफ पैंट और शर्ट। दीक्षित परिवार के ड्राइंग रूम में स्वर्गीय मथुरा प्रसाद दीक्षित के साथ लगी अटलजी की एक तस्वीर भी इस रिश्ते की गवाह है।

गर्मियों की छुट्टियों में गोरखपुर आना था पसंद
जब तक राजनीति में अटलजी बहुत व्यस्त नहीं हुए तब तक उनका गोरखपुर आना-जाना होता था। खासकर मां कृष्णा देवी की मृत्यु के बाद गर्मियों की छुट्टियों में वह गोरखपुर आना ही पसंद करते थे। लिहाजा दीक्षित परिवार के पास उनकी यादों का पुलिंदा है। अब न अटलजी रहे, न यादों को सुनाने वाले अधिकांश लोग। बावजूद उनसे जो सुन रखा है उसके मुताबिक उम्र में अटल जी से कुछ ही छोटे स्वर्गीय कैलाश नारायण दीक्षित (इंजीनियर) और सूर्यनारायण दीक्षित (पूर्व विभागाध्यक्ष वनस्पति शास्त्र विभाग गोरखपुर विश्वविद्यालय के साथ अटल जी ने अपने नौजवानी के तमाम दिनों को गुजारा था। गोरखपुर में उनके ड्राइंग रूम में एक बुजुर्ग सज्जन के साथ युवा अटल की तस्वीर देख इस रिश्ते का पता तो चल गया था, पर बहुत डिटेल में जानने की जिज्ञासा तब हुई जब एक बार अटलजी ने गोरखपुर गोलघर स्थित महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज के मैदान में आयोजित एक सभा में अपने चिरपरिचित अंदाज में बोल दिया कि गोरखपुर से मेरा बेहद खास रिश्ता है, तब इस रिश्ते की थोड़ी बहुत चर्चा हुई। 1998 में जब अटलजी देश के प्रधानमंत्री बने तब उस परिवार से अपने रिश्ते और एक पत्रकार होने के नाते मैंने इसकी व्यापक पड़ताल की। तो मुझे संस्मरणों का यह खजाना मिला।

रामेश्वरी उर्फ विट्टन थीं अटल जी की भाभी

पंडित मथुरा प्रसाद की पांच बहनों शांति, रामेश्वरी, सावित्री, पुष्पा व सरोज में से रामेश्वरी उर्फ विट्टन का विवाह अटलजी के बड़े भाई प्रेम बिहारी वाजपेयी के साथ हुआ था। एक बार रिश्ता कायम होने के बाद अटलजी का यहां अक्सर आना जाना होता था। चूंकि दोनों दीक्षित बंधु (कैलाश नारायण व सूर्य नारायण) लगभग उनके हम उम्र थे, इसलिए उनकी इनसे खूब पटती थी। कुछ और परिचित भी आ जाते थे और महफिल जम जाती थी। मकान के उत्तरी हिस्से में बना एक कमरा तो तब भी उसी रूप में था। वहां अटल जी बैठते थे। कभी-कभार जब ठंडई पीनी होती तो ये लोग आंगन होकर ऊपर वाले कमरे में निकल जाते थे।

बेसन का पनौछा और रसाद अटल जी को थी बेहद पसंद
जब अटलजी आते तब उनके एक कांग्रेसी दोस्त रमेशचंद्र दीक्षित का भी खूब आना होता था। दोनों में खूब बहस होती थी, यहां दीक्षित बंधुओं की मां श्रीमती फूलमती उनका खासा ख्याल रखती थी। वे उनसे ही कुछ अधिक अटैच हो गये। उनके आने-जाने और कुछ उनकी भाभी रामेश्वरी के बताने से दीक्षित परिवार अटलजी के शौक से वाकिफ हो चुका था। खाने में उन्हें बेसन की दो चीजें पनौछा, रसाद बेहद पसंद थीं। इसके अलावा खीर भी पसंद थी।

राजनीति में परिवारवाद के थे कड़े विरोधी
अटलजी राजनीति में भाई-भतीजावाद के कड़े विरोधी थे। बडे भाई को तो मिल रहा टिकट कटवा दिया। एक बार अलीनगर स्थित मथुरा सदन आये थे। बातचीत के क्रम में संजीव ने पार्टी से अपने जुड़ाव के बारे में बताया तो उन्होंने संजीव की ओर मुखातिब होकर कहा, “भाजपा की अप्रेंटिस तो बहुत कठिन है।”

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