Jammu and Kashmir: 15 अक्टूबर से शुरू होने वाले जम्मू-कश्मीर के कटरा जिले में पहली बार माता वैष्णो देवी पर केंद्रित कर्नाटक के प्रसिद्ध ‘यक्षगान’ थिएटर की प्रस्तुति होगी। माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के सीईओ अंशुल गर्ग ने बताया कि गुफा मंदिर की सुचारू तीर्थयात्रा के लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक की प्रसिद्ध ‘यक्षगान’ थिएटर प्रस्तुति माता वैष्णो देवी की थीम पर उद्घाटन दिवस पर प्रदर्शित की जाएगी। अंशुल गर्ग ने कहा कि बोर्ड के अध्यक्ष ने महोत्सव में देश के अलग-अलग हिस्सों से कला और रंगमंच के कई रूपों को शामिल करने को कहा है।
यक्षगान दक्षिण भारत से शुरू हुआ नृत्य-नाटक का एक रूप है और कर्नाटक से बहुत करीब से जुड़ा हुआ है। बड़ी और रंगीन पोशाकें, श्रृंगार और मुखौटे इस कला की सबसे अहम विशेषताओं में से हैं। अंशुल गर्ग ने कहा कि इस साल के नवरात्रि उत्सव में रजिस्ट्रेशन और आरएफआईडी सेटअप को मजबूत किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि एक परियोजना नवदुर्गा पथ है जहां नवदुर्गा के नौ रूपों का प्रदर्शन किया गया है ताकि यात्रियों को स्काईवॉक में प्रवेश करने पर आध्यात्मिक माहौल मिल सके। उन्होंने कहा कि शारदीय नवरात्रि के दौरान तीन लाख से ज्यादा तीर्थयात्री आते हैं। उन्हें इस साल भी इसी तरह की प्रतिक्रिया की उम्मीद है। गर्ग ने कहा कि 15 अक्टूबर को नवरात्रि का उद्घाटन उत्सव शुरू होगा।
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माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के सीईओ ने बताया कि “इस साल जो उद्घाटन समारोह है उसमें एक खास प्रस्तुति रहेगी। कर्नाटक का थिएटर जो कि यक्षगान के नाम से जाना जाता है। तो उसके अंदर जो हमारे कलाकार हैं, जो एक्सपर्ट्स हैं वो कर्नाटक के परफॉर्म करने आ रहे हैं। काउंटर्स की संख्या इस बार हमने बढ़ाई है। इस बार करीब 37 काउंटर्स रहेगे रजिस्ट्रेशन के लिए और सुबह चार बजे से ही रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी ताकि किसी को भी लंबी कतारों का सामना ना करना पड़े। कम से कम समय में हम यात्रियों को आरएफआईडी के जरिए रजिस्टर करें। यात्रा को ट्रैक की कैरिंग कैपेसिटी के आधार पर आगे के लिए रवाना किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि भवन पर दो अहम परियोजनाओं का फैसला किया था बोर्ड ने पिछली साल। उसमें से एक दुर्गा भवन था जिसे पिछली नवरात्रि में चेयरमेन सर के द्वारा यात्रियों को समर्पित कर दिया गया था। दूसरा अहम प्रोजेक्ट था हमारा स्काईवॉक जो तकरीबन 15 महीने के अंतराल में और तकरीबन साढ़े 15 करोड़ रुपये की लागत से पूरा हुआ है। इसके अंदर भी मैं समझता हूं कि हमारे सभी यात्रियों को भवन पर जाने और आने में काफी सुविधा महसूस होगी। एक नवदुर्गा पथ का निर्माण किया है जिसके अंदर माता के नौ रूपों को हमने दर्शाने की कोशिश की है। ताकि एक आध्यात्मिक माहौल यात्री महसूस करें, जैसे ही वो स्काईवॉक में प्रवेश करें।”