Paris Olympics: टोक्यो खेलों की रजत पदक विजेता वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने पेरिस ओलंपिक में महिलाओं की 49 किग्रा के वेटलिफ्टिंग इवेंट में चौथे स्थान पर रहने के लिए अपने फैंस से माफी मांगी और कहा कि उन्होंने अपने तीसरे ओलंपिक में मेडल जीतने के लिए अपना बेस्ट दिया।
मणिपुरी की रहने वाली मीराबाई चानू अपने खेल से खुश हैं। उन्होंने कहा कि “मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं क्योंकि मैंने रिकवरी के लिए बहुत कम समय मिलने के बावजूद यह कर दिखाया, मैं प्रैक्टिस में 85 का वजन उठा रही थी और इवेंट में भी मैंने ऐसा किया। मैं क्लीन एंड जर्क को लेकर भी आश्वस्त थी, महिलाओं की समस्या का ये मेरा तीसरा दिन था और इससे आप पर थोड़ा असर पड़ता है।”
30 साल की चानू दूसरे ओलंपिक मेडल के बेहद करीब पहुंच गई थीं, लेकिन लास्ट में लड़खड़ाती हुई लिफ्ट से उनका सपना टूट गया। मीराबाई ने साउथ पेरिस एरिना में कुल 199 किग्रा (88 किग्रा+111 किग्रा) वजन उठाया। ये टोक्यो ओलंपिक (202 किग्रा) में रजत पदक के लिए उठाए गए भार से तीन किग्रा कम था।
चानू पहले राउंड स्नैच में अच्छा प्रदर्शन कर रहीं थीं, लेकिन क्लीन एंड जर्क के दूसरे राउंड में मात खा गईं, मीराबाई चानू ने स्नैच में 88 किग्रा वजन उठाया, जबकि क्लीन एंड जर्क में उन्होंने 111 किलो वजन उठाने में कामयाबी हासिल की। इस तरह उनका कुल वजन 199 रहा, वह अच्छी फाइट में दिख रही थीं, लेकिन दूसरी प्रतिभागियों ने भी शानदार प्रदर्शन करते हुए उन्होंने ज्यादा वजन उठा लिया। इस तरह मीराबाई मेडल के बेहद करीब आकर चूक गईं।
मीराबाई चानू ने कहा कि “मैं आज बहुत खुश हूं आज की परफोर्मेंस पर, सबको जानते है कि प्लेयर के साथ कुछ न कुछ होता रहता है तो मैं काफी इंजरी और बहुत सारी चीज फेस कर रही थी। सबको पता है रियो में मेरा फर्स्ट ओलंपिक था, उसमें मुझे क्या हुआ था कैसे मिस हो गया था मेरा मेडल मेरे हाथ से। ऐसे ही हर प्लेयर्स के साथ किस्मत होता है कभी अच्छा होता है, कभी बूरा होता है, तो मेरे साथ भी ऐसे हुआ है रियो में फेल हुआ था, मेडल हाथ से होते-होते पर उसके बाद में मैं वर्ल्ड चैंपियन बनी और उसके बाद टोक्यो ओलंपिक में मैंने इंडिया के लिए सिल्वर मेडल पहली बार दिया था, पूरा कोशिश किया था मेरी तरफ से इस बार भी मैं पूरा मेरी तरफ से बेस्ट परफोर्मेंस देकर इंडिया के लिए मेडल जीतने के लिए फेस किए थे।”