Jammu: जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले के तुलमुल्ला स्थित खीर भवानी मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े। उन्होंने खीर भवानी मेले के अवसर पर पूजा-अर्चना की और देवी का आशीर्वाद लिया, खीर भवानी मेला कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन है।
कई श्रद्धालुओं ने कहा कि वे इस पवित्र दिन का पूरे साल इंतजार करते हैं। उन्होंने खास मेले के लिए किए गए इंतजामों के लिए प्रशासन की तारीफ की, इस साल इस मेले की अहमियत इसलिए ज्यादा बढ़ गई है क्योंकि इसका आयोजन 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद हो रहा है।
कुछ कश्मीरी पंडितों के लिए सालाना खीर भवानी मेला महज एक परंपरा नहीं बल्कि उनके लिए यह भावनात्मक घर वापसी है, माता खीर भवानी से जुड़ी कई मान्यताएं हैं जिनमें हर एक खास है। कुछ श्रद्धालु इस उत्सव को देवी के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं, तो वहीं कई लोगों के लिए इसकी मान्यता एकदम अलग है, ज्येष्ठ अष्टमी को लगने वाला खीर भवानी मेला लंबे वक्त से से जम्मू कश्मीर में सामुदायिक सद्भाव का प्रतीक रहा है।
जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी खीर भवानी मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद के हालात को देखते हुए कश्मीर में इतनी बड़ी तादाद में लोगों का आना सकारात्मक संकेत है। तमाम राजनैतिक दलों के नेताओं की आस्था चाहे कुछ भी हो वे इस पवित्र मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। उन्होंने खीर भवानी मेले के मौके पर लोगों को शुभकामनाएं दीं और उम्मीद जताई कि विस्थापित कश्मीरी पंडित समुदाय एक दिन घाटी में वापस जरूर लौटेगा।
खीर भवानी मेला सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक है। ये सदियों से जम्मू कश्मीर की समृद्ध और सांस्कृतिक विविधता को दिखाता हैै।
प्रवासी कश्मीरी पंडित मुक्तेश योगी ने कहा कि “हम लोग यहां 30 तारीख से आए हुए हैं, अपनी टीम के साथ, हमने यहां लंगर की व्यवस्था की है। जिसकी वजह से हम 30 तारीख को आए थे। हम युवाओं को कामकाज की वजह से बाहर जाना पड़ता है तो साल में हमको इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है, कि कब ये खीर भवानी का मेला आए और मेले मेें हम लोग बढ़चढ़ कर मनाएं। आप देख रहे हैं कि किस तरीके से यहां श्रद्धालुओं ने माहौल को रंगमय कर दिया है।”
“इस अवसर पर हम लोग आए हैं और इकट्ठा हुए हैं, माता के दर्शन कर रहे हैं, हम यहीं कामना करते हैं कि सबको खुशहाली हो, लोगों को अपना रोजगार मिले, जब टूरिस्ट आएगा तो उनको अपना रोजगार मिलेगा। मैं यहां लगभग 50 साल से आ रहा हूं। 50 सालों से मैंने यही फर्क देखा कि मैं आता हूं और चला जाता हूं वापस, काश मैं यहां बैठता, जैसे मैं पहले बैठता था मैं जिला कुलगाम से आता था। यहां 10 दिन बैठता था फिर मैं अपने घर जाता था। कश्मीर की वादियों में बैठता था।”
कश्मीरी पंडित नन्हा जी ने कहा कि “जो माता खीरभवानी है वो अष्टमी के दिन हम मनाते हैं। आज तीन जून 2025 आज यहां पर है और यहां पर जन्मदिन मनाया जाता है।” इसके साथ ही उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि “खीर भवानी के मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए हैं। एक अच्छा संकेत है। मुझे लगता है कि दो महीने के बाद 22 अप्रैल के बाद इतनी भीड़ शायद पहली बार कश्मीर में दिखी है। माता भवानी का आशीर्वाद पूरे जम्मू क्श्मीर पर बना रहे।”
जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला ने बताया कि “यह माता की मेहरबानी है यह खीर भवानी की मेहरबानी है, उसने कहा आओ मेरे दर्शन करो, मैं आया मेरे भाईयों के साथ, बहनों के साथ हम लोग मिले और हमने खुशी का पैगाम दिया।”
पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा कि “हमारे कश्मीरी पंडित भाई बहनें यहां आते हैं और हम उनका इस्तकबाल करने आए थे और ये कहने आए थे कि जो पीडीपी कहती है कि अमन बहाल करके इज्जत से एक राजनीतिक प्रक्रिया चलनी चाहिए। वो राजनीतिक प्रक्रिया तब तक नहीं हो सकती जब कश्मीर पंडित वापस ना आएं।”