Dussehra: मंदसौर की सदियों पुरानी अनोखी परंपरा, दशहरा के दिन पहले रावण की पूजा, फिर वध करने की प्रथा

Dussehra: मध्य प्रदेश के मंदसौर में हर साल दशहरे पर एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है, देश के कई हिस्सों में रावण का पुतला जलाया जाता है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत मानी जाती है, लेकिन यहां का नामदेव समुदाय रावण की पूजा करता है।

मान्यता है कि मंदसौर रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका था। लिहाजा रावण को दामाद सरीखा सम्मान दिया जाता है, अनोखी परंपरा में त्योहार के दिन सुबह रावण की पूजा की जाती है, लेकिन शाम को रावण का प्रतीकात्मक वध भी होता है, ये परंपरा बेहद खास है। उत्सुकता के कारण और परंपरा की खासियत का अनुभव करने के लिए अक्सर आस-पास के इलाकों से लोग यहां आते हैं।

दशहरा पर देश के ज्यादातर हिस्सों में राक्षस-राज, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले जलाए जाएंगे, लेकिन मंदसौर का नामदेव समुदाय पहले रावण की प्रार्थना करेगा और फिर प्रतीकात्मक वध करेगा। ये परंपरा सदियों पुरानी है।

नामदेव समाज सचिव राजेश भारद्वाज ने बताया कि “दशहरे के दिन यहां पर सवेरे नौ बजे लक्ष्मीनाथ बड़ा मंदिर से हम ढोल-ढमाके के साथ यहां आएंगे। रावण महाराज के पांव में लच्छा (लाल धागे) बांधेंगे और मंदसौर शहर के सुख-समृद्धि की यहां पर कामना करेंगे।

इसके साथ ही चूंकि शाम को रावण वध की परंपरा का निर्वहन करना है, उसी को ध्यान में रखते हुए रावण महाराज को यहां पर राम सेना की तरफ से युद्ध का निमंत्रण भी दिया जाएगा और यहां पर गोधूलि वेला (सूर्यास्त और रात होने के बीच का समय) में शाम को रावण वध की परंपरा का निर्वहन होगा। आप ये देखते होंगे, ये एक अनोखी परंपरा है कि सवेरे हम यहां पर पूजा करते हैं और शाम को वध (रावण का) कर देते हैं।”

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *