Punjab: 15 अगस्त, 1947 को भारत ब्रिटिश हुकूमत से आजाद हुआ था, लेकिन पंजाब का गुरुदासपुर जिला 17 अगस्त, 1947 को भारतीय संघ में शामिल हुआ। 17 अगस्त, 1947 तक यही उम्मीद लगाई जा रही थी कि गुरुदासपुर पाकिस्तान में शामिल होगा। हालांकि बंटवारे के बाद भारत का नक्शा तैयार करने वाले सर सिरिल रैडक्लिफ ने ऐन मौके पर बदलाव कर दिया और गवर्नर जनरल माउंटबेटन की ओर से देरी से ऐलान करने की वजह से ये रणनैतिक इलाका भारत के हिस्से में आ गया।
गुरदासपुर के भारत में विलय का श्रेय जस्टिस मेहर चंद महाजन के पोते अपने दादा को देते हैं। उनका कहना है कि भारत में सुप्रीम कोर्ट के तीसरे जज और जस्टिस मेहर चंद महाजन की कोशिशों की वजह से देश को ये कामयाबी मिली थी। राजीव कृष्ण महाजन, जस्टिस मेहर चंद के पोते उन्होंने बड़ा एफर्ट करके, काफी जोर लगाकर गुरदासपुर डिस्ट्रिक्ट और पठानकोट को ढाई दिन के बाद आजाद कराया था। ये पठानकोट और गुरदासपुर पाकिस्तान का था। ढाई दिन के बाद इंडिया में लाए,
1947 में आजादी के बाद रेडियो पर घोषणा की गई कि आप पाकिस्तान में हैं। बंटवारे के तीन दिन बाद हमें भारतीय रेडियो से पता चला कि पठानकोट भारत का हिस्सा है। हालांकि गुरदासपुर के लोग 17 अगस्त का वो दिन भूल गए हैं, इस दिन जिले में कोई खास कार्यक्रम नहीं होता।