Punjab: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से आग्रह किया कि वे पराली प्रबंधन के लिए पंजाब के रणसिंह कलां गांव के सफल मॉडल को अपनाएं। उन्होंने बताया कि इस गांव में पिछले छह सालों से पराली नहीं जलाई गई, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर हुई और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में 30 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
गुरुवार को पंजाब के मोगा दौरे के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने रणसिंह कलां गांव का दौरा किया और उन किसानों से मुलाकात की, जिन्होंने पराली जलाना पूरी तरह बंद कर दिया। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि रणसिंह कलां में किसान छह सालों से पराली नहीं जला रहे। वे फसल अवशेषों को खेतों में मिलाकर सीधी बुवाई करते हैं। यही प्रयोग मैं पूरे देश तक पहुंचाना चाहता हूं।
गांव के सरपंच प्रीतिंदरपाल सिंह (मिंटू सरपंच) द्वारा अनेक पहलें लागू की गई हैं। पहल में पराली न जलाने वाले किसानों को नगद प्रोत्साहन, फलदार पौधे लगाने पर इनाम, पुस्तकालय में पढ़ने को बढ़ावा, प्लास्टिक मुक्त अभियान, वर्षा जल संचयन, नशा विरोधी अभियान शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि पराली जलाने की घटनाएं देश के लिए चिंता का विषय रही हैं। इससे खेत तो साफ होता है, लेकिन मित्र कीट नष्ट होते हैं और प्रदूषण बढ़ता है। उन्होंने ये भी बताया कि इस साल पराली जलाने की घटनाओं में 83 फीसदी कमी आई है। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि जब लोग पूछते हैं कि पराली न जलाएं तो क्या करें, तो जवाब रणसिंह कलां में है। देश भर में किसानों को इस मॉडल को अपनाना चाहिए।