Punjab: पंजाब कैबिनेट ने अपनी लैंड पूलिंग नीति में संशोधनों को मंज़ूरी दे दी, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस योजना के ख़िलाफ़ कथित तौर पर दुष्प्रचार करने के लिए विपक्षी दलों की कड़ी आलोचना की। मान ने विपक्ष के इस आरोप का खंडन किया कि यह योजना किसानों की ज़मीन “छीन” लेगी और दावा किया कि किसान समुदाय को यह नीति “पसंद” आ रही है।
पंजाब कैबिनेट ने पिछले महीने लैंड पूलिंग नीति को मंज़ूरी दी थी और तब कहा था कि ज़मीन मालिकों से एक गज भी ज़बरदस्ती नहीं ली जाएगी। कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करने के बाद मुख्यमंत्री मान ने कहा कि विपक्षी दलों का ये दावा कि ज़मीन के एक टुकड़े की अधिसूचना जारी होने के बाद ज़मीन की रजिस्ट्री नहीं होगी, निराधार है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “भूमि पूलिंग नीति आम आदमी पार्टी सरकार की एक ऐतिहासिक नीति है और ये ऐसी नीति है, जिसमें किसानों के साथ कोई अन्याय नहीं है बल्कि वे (किसान) इस योजना के भागीदार बन रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “विपक्षी दलों द्वारा यह गलत सूचना फैलाई जा रही है कि जहां भी अधिसूचना जारी होगी, वहां भूमि रजिस्ट्री बंद हो जाएगी, जो पूरी तरह से गलत आरोप है। अगर कोई अपनी जमीन सरकार को नहीं देना चाहता तो इसका मतलब ये नहीं कि रजिस्ट्री नहीं होगी। कोई ज़बरदस्ती अधिग्रहण नहीं होगा और मालिक ज़मीन पर स्वतंत्र रूप से खेती कर सकता है, जबकि सरकार दूसरी ज़मीन का इस्तेमाल करेगी…”
मान ने कहा कि जब तक ज़मीन के एक टुकड़े पर शहरी विकास कार्य शुरू नहीं हो जाता, तब तक लैंड पूलिंग योजना का विकल्प चुनने वाले किसान खेती-बाड़ी कर सकते हैं। उन्होंने आगे बताया कि उन्हें 50,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवज़ा मिलेगा। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा ज़मीन पर कब्ज़ा करने के बाद किसानों को एक लाख रुपये प्रति एकड़ मिलेंगे।
किसानों के सुझावों के बाद नीति में किए गए संशोधनों का ज़िक्र करते हुए मान ने कहा “अगर ज़मीन के विकास में एक साल से ज़्यादा समय लगता है, तो किसानों को हर साल (एक लाख रुपये) की राशि में 10 फीसदी की बढ़ोतरी मिलेगी।” मान ने लैंड पूलिंग नीति को आप सरकार की “ऐतिहासिक” नीति बताया और कहा कि ये एक ऐसी नीति है जिसमें किसानों के साथ कोई अन्याय नहीं है।
उन्होंने कहा, “बल्कि, वे (किसान) इस योजना के भागीदार बन रहे हैं। उन्हें यह नीति पसंद आ रही है।” राज्य सरकार ने पहले कहा था कि लैंड पूलिंग नीति के तहत, ज़मीन मालिक को एक एकड़ ज़मीन के बदले पूरी तरह से विकसित ज़मीन पर 1,000 वर्ग गज का आवासीय प्लॉट और 200 वर्ग गज का व्यावसायिक प्लॉट दिया जाएगा।
मान ने कहा कि अगर कोई किसान 200 वर्ग गज का व्यावसायिक प्लॉट नहीं चाहता है, तो उसे आवासीय प्लॉट में 600 वर्ग गज अतिरिक्त दिए जाएँगे, जिससे कुल 1,600 वर्ग गज हो जाएँगे। मुख्य सचिव के.ए.पी. सिन्हा ने कहा कि किसान आशय पत्र पर लोन ले सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा, “किसानों को कोई वित्तीय नुकसान नहीं होगा।”
आम आदमी पार्टी सरकार विपक्षी दलों की आलोचना का सामना कर रही है, जिन्होंने लैंड पूलिंग नीति को किसानों से उनकी ज़मीन “लूटने” की एक “लूट” योजना करार दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा सहित किसान संगठनों ने भी इस योजना का विरोध किया है। पिछले महीने नीति को मंजूरी देने के बाद मान ने कहा था कि इसे राज्य भर में पारदर्शी और योजनाबद्ध शहरी विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है।