Vice President: उप-राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए ने सी. पी. राधाकृष्णन को बनाया उम्मीदवार

 Vice President: केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने महाराष्ट्र के राज्यपाल चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन को उप-राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया, जो तमिलनाडु की एक प्रमुख ओबीसी जाति से आते हैं और आरएसएस की पृष्ठभूमि से हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक तथा पार्टी के सहयोगी दलों के साथ विचार-विमर्श के बाद ये घोषणा की। नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में व्यापक विचार-विमर्श के बाद राधाकृष्णन के नाम पर फैसला किया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पृष्ठभूमि वाले राधाकृष्णन तमिलनाडु के एक वरिष्ठ बीजेपी नेता हैं।

नड्डा ने ओबीसी नेता और दो बार लोकसभा सदस्य रह चुके राधाकृष्णन (67) को इस संवैधानिक पद पर सर्वसम्मति से चुने जाने की अपील करते हुए कहा कि बीजेपी नेताओं ने पिछले सप्ताह विपक्षी दलों से बात की थी और आगे भी करते रहेंगे। नड्डा ने कहा कि विपक्षी नेताओं ने बीजेपी वार्ताकारों से कहा है कि वे सत्तारूढ़ गठबंधन के उम्मीदवार के बारे में बताए जाने के बाद ही अपना रुख स्पष्ट कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी राधाकृष्णन को लेकर आम सहमति बनाने के लिए उनसे फिर संपर्क करेगी।

नड्डा ने राधाकृष्णन को ‘राजनेता’ बताया। राधाकृष्णन के रूप में बीजेपी ने एक ऐसे नेता पर भरोसा किया है, जिसकी संगठनात्मक और वैचारिक प्रतिबद्धता सिद्ध है। वो अपने पूर्ववर्ती जगदीप धनखड़ से कई मायनों में बहुत अलग हैं। प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “सी. पी. राधाकृष्णन ने अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में समर्पण, विनम्रता और बुद्धिमत्ता के बलबूते खुद की अलग पहचान बनाई।” उन्होंने लिखा, “‘विभिन्न पदों पर रहते हुए उन्होंने हमेशा सामुदायिक सेवा और हाशिये पर पड़े लोगों को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने तमिलनाडु में जमीनी स्तर पर काफी काम किया है।” प्रधानमंत्री ने भरोसा जताया कि राधाकृष्णन एक प्रेरक उप-राष्ट्रपति होंगे और संसद में सरकार के एजेंडे को संभालने में अहम भूमिका निभाएंगे।

एनडीए के उप-राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में अपने नाम की घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, राधाकृष्णन ने मोदी समेत बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के नेताओं को धन्यवाद दिया। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘मुझ पर उन्हें जो विश्वास है और उन्होंने मुझे राष्ट्र की सेवा करने का जो अवसर दिया है, उससे मैं अभिभूत हूं। मैं अपनी अंतिम सांस तक राष्ट्र के लिए कड़ी मेहनत करने का आश्वासन देता हूं। ’’ लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों वाले निर्वाचक मंडल में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास पर्याप्त बहुमत होने के कारण, राधाकृष्णन का निर्वाचन लगभग तय है। पार्टी को उम्मीद है कि उनकी पदोन्नति से उसे तमिलनाडु में पैठ बनाने में मदद मिलेगी, जहां अगले साल चुनाव होने हैं।

राधाकृष्णन गौंडर जाति से ताल्लुक रखते हैं, जो तमिलनाडु में प्रभावशाली ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदाय है। नड्डा ने राधाकृष्णन के लगभग 40 वर्षों के सार्वजनिक जीवन पर जोर देते हुए कहा कि विभिन्न दलों और समाज के विभिन्न वर्गों में उनका सम्मान है। राधाकृष्णन की पदोन्नति से बीजेपी को कांग्रेस और उसके सहयोगियों द्वारा जाति जनगणना और इस वर्ष के अंत में होने वाले बिहार चुनावों से पहले ओबीसी को राजनैतिक प्रतिनिधित्व जैसे मुद्दों पर लुभाने के प्रयासों के खिलाफ जवाबी हमले में भी मदद मिलेगी। नड्डा ने राधाकृष्णन के लगभग 40 वर्षों के सार्वजनिक जीवन पर प्रकाश डाला और कहा कि विभिन्न दलों में उनका अच्छा सम्मान है और अपने गृह राज्य में समाज के विभिन्न वर्गों में उनका सम्मान है, जहां बीजेपी का स्थान दो प्रमुख द्रविड़ क्षेत्रीय दलों – सत्तारूढ़ डीएमके और एआईएडीएमके के बाद आता है। नड्डा ने कोयंबटूर के पूर्व सांसद के बारे में कहा, ‘‘उन्हें एक सम्मानित नेता माना जाता है।’’ उन्होंने कहा कि राधाकृष्णन को 2023 में झारखंड का राज्यपाल बनाया गया था और फिर जुलाई 2024 में महाराष्ट्र स्थानांतरित कर दिया गया था।

अपने पूर्ववर्ती धनखड़ के विपरीत, राधाकृष्णन ने राज्यपाल के रूप में विवादास्पद राजनैतिक मुद्दों पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करने से काफी हद तक परहेज किया है। धनखड़ भी 2022 में एनडीए के उप-राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में नामित होने से पहले उनके जैसे ही राज्यपाल थे। हालांकि, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले साल आरोप लगाया था कि केंद्र की ‘साजिश’ के तहत प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी में राजभवन की भूमिका थी। इसके बाद राधाकृष्णन ने आठ फरवरी 2024 को प्रेस वार्ता कर आरोपों का खंडन किया और इस बात पर जोर दिया कि राजभवन ने सभी लोकतांत्रिक मानदंडों का पालन किया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उप-राष्ट्रपति चुनाव की निगरानी करेंगे, जबकि संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू मतदान एजेंट होंगे। उप-राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त है। प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों के अलावा बीजेपी नीत गठबंधन के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री भी राधाकृष्णन के नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया का हिस्सा होंगे। अगर विपक्ष भी अपना उम्मीदवार घोषित कर देता है तो चुनाव नौ सितंबर को होगा। संसद के मानसून सत्र के पहले दिन 21 जुलाई को धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अचानक इस्तीफा देने के बाद उपराष्ट्रपति पद का चुनाव हो रहा है।

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