Vice President: स्वयंसेवक’ से उपराष्ट्रपति तक… सी पी राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर रहा है बेमिसाल

Vice President: किशोरावस्था में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के ‘स्वयंसेवक’, जनसंघ से राजनीतिक पारी की शुरुआत, 1990 के दशक में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद, समर्थकों के बीच ‘तमिलनाडु के मोदी’ के नाम से लोकप्रिय और आज देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए निर्वाचित हुए चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन का सफर निस्संदेह बेमिसाल है।

उपराष्ट्रपति के तौर पर उनका सफर अब अलग तरह का होगा, जिसमें उनके सामने कई चुनौतियां भी होंगी। सबसे बड़ी चुनौती राज्यसभा के सभापति के रूप में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच संतुलन बनाने की होगी, क्योंकि पिछले कुछ सालों में विपक्ष ने आसन की निष्पक्षता को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं।

राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं। उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के भारी अंतर से पराजित किया। अब तक महाराष्ट्र के राज्यपाल की भूमिका रहे 67 साल राधाकृष्णन किशोरावस्था में ही आरएसएस और जनसंघ से जुड़ गए थे। वे 1990 के दशक के अंत में कोयंबटूर से दो बार लोकसभा चुनाव जीते और उनके समर्थक उन्हें ‘तमिलनाडु का मोदी’ कहते हैं।

राधाकृष्णन ने 1998 और 1999 में कोयंबटूर लोकसभा सीट से दो बार चुनाव जीता, हालांकि इसके बाद उन्हें इस सीट से लगातार तीन बार हार का सामना करना पड़ा। तमिलनाडु में सभी दलों में उन्हें काफी सम्मान हासिल है और यही वजह है कि बीजेपी ने उन्हें कई राज्यों का राज्यपाल बनाया। उन्होंने 31 जुलाई, 2024 को महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली।

इससे पहले उन्होंने लगभग डेढ़ साल तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। झारखंड के राज्यपाल के रूप में, उन्हें तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था।
अलग-अलग राज्यों में राज्यपाल पद संभालने के बाद भी, वे अक्सर तमिलनाडु का दौरा करते रहे हैं। अपने हालिया तमिलनाडु दौरे के दौरान उन्होंने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन से भी मुलाकात की थी।

तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। तमिलनाडु के तिरुपुर में 20 अक्टूबर, 1957 को जन्मे राधाकृष्णन के पास व्यवसाय प्रबंधन में स्नातक की डिग्री है। 16 साल की उम्र में आरएसएस के स्वयंसेवक के रूप में शुरुआत करने वाले राधाकृष्णन 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य बने। साल 1996 में राधाकृष्णन को बीजेपी की तमिलनाडु इकाई का सचिव नियुक्त किया गया। वे 1998 में कोयंबटूर से पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और 1999 में वे फिर से इस सीट से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए।

सांसद के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई संसदीय समितियों के अध्यक्ष और सदस्य के रूप में कार्य किया। साल 2004 से 2007 के बीच, राधाकृष्णन बीजेपी की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष रहे। इस पद पर रहते हुए, उन्होंने 19,000 किलोमीटर की ‘रथ यात्रा’ की, जो 93 दिनों तक चली। एक उत्साही खिलाड़ी राधाकृष्णन टेबल टेनिस में कॉलेज चैंपियन और लंबी दूरी के धावक रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि 2004 में डीएमके द्वारा एनडीए से संबंध खत्म करने के बाद तमिलनाडु में बीजेपी के लिए नया गठबंधन बनाने में उनकी अहम भूमिका थी।

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