Vande Mataram: राज्यसभा में वंदे मातरम पर लेकर घमासान, आमने-सामने आए शाह और खरगे

Vande Mataram: संसद के शीतकालीन सत्र में वंदे मातरम् के मुद्दे पर राज्यसभा में जोरदार राजनीतिक टकराव देखने को मिला, प्रियंका गांधी के आरोपों के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे खुलकर आमने-सामने आ गए, शाह ने बिना नाम लिए कहा कि जो लोग वंदे मातरम चर्चा को बंगाल चुनावों से जोड़ रहे हैं, उन्हें अपनी समझ पर फिर से सोचना चाहिए।

शाह का पलटवार-
गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि वंदे मातरम को पश्चिम बंगाल चुनाव से जोड़ना गलत समझ है, उन्होंने कहा कि यह चर्चा राजनीतिक फायदे के लिए नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की भावना को समझने के लिए है। इसके साथ ही उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू पर आरोप लगाया कि 1937 में उन्होंने कविता की केवल दो छंद अपनाकर इसे विभाजित किया, शाह ने इसे तुष्टीकरण की राजनीति की शुरुआत बताया, जिसने आगे चलकर देश के विभाजन का रास्ता खोला।

शाह ने कहा वंदे मातरम पर चर्चा की जरूरत आज भी उतनी ही जरूरी है, जब यह गीत लिखा गया था, आजादी की लड़ाई के दौरान और 2047 में भी जब विकसित भारत बनेगा, उन्होंने कहा कि यह गीत बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने बंगाल में लिखा था,लेकिन यह पूरे देश में फैल गया और भारत की आजादी की लड़ाई का नारा बन गया।

बता दें कि प्रियंका गांधी ने लोकसभा में कहा था कि नेहरू जी की विरासत पर एक बार में पूरा संवाद होना चाहिए क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी लगातार उनकी आलोचना करते हैं, इस पर शाह ने कहा हम सदन में हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं।

खरगे का जवाब-
अमित शाह के बयान के बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रियंका गांधी के बयान का समर्थन किया, खरगे ने कहा कि सरकार वंदे मातरम् पर बहस कर जनता की मूल समस्याओं (महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की परेशानी) से ध्यान भटकाना चाहती है। खरगे ने कहा पीएम मोदी और अमित शाह हर मौके पर जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस नेताओं का अपमान करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। उन्होंने कहा लेकिन यह तो स्वाभाविक है, पीएम जहां भी जाते हैं, अमित शाह भी उनके पीछे-पीछे जाते हैं।

खड़गे ने आगे कहा हम हमेशा से वंदे मातरम गाते आए हैं। लेकिन जो लोग इसे नहीं गाते थे, वे भी अब इसे गाने लगे हैं। यह वंदे मातरम की ताकत है। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस और हिंदू महासभा, जिन्हें भाजपा की शुरुआती या पैट्रन बॉडी माना जाता है, अंग्रेजों की सेवा कर रहे थे, जब कांग्रेस के सदस्य वंदे मातरम का नारा लगाते हुए जेल जा रहे थे।

खरगे ने कहा कि 1937 में वंदे मातरम की दो छंद चुने जाने का फैसला नेहरू ने अकेले नहीं लिया था, यह निर्णय कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने सामूहिक रूप से लिया था जिसमें गांधी, सुभाष बोस, रवींद्रनाथ टैगोर, मदन मोहन मालवीय जैसे प्रमुख नेता शामिल थे। उन्होंने कहा आप सिर्फ नेहरू पर निशाना साधकर इन महान नेताओं का भी अपमान कर रहे हैं।

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