Tejashwi Yadav: बिहार चुनाव के नतीजों में आरजेडी को बड़ा झटका लगा है, जनमत सर्वेक्षणों में जहां लालू और राबड़ी देवी के बेटे तेजस्वी को मुख्यमंत्री का सबसे पसंदीदा चेहरा बताया जा रहा था, लेकिन उनके नेतृत्व में महागठबंधन को बहुत बड़ी हार का सामना करना पड़ा है।
आरजेडी, कांग्रेस, वीआईपी और वामपंथी दलों के साथ बना महागठबंधन का प्रदर्शन इतना खराब रहा कि वो 40 सीटों का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाया। हार इतनी बड़ी थी कि तेजस्वी खुद राघोपुर के पारिवारिक गढ़ में मुश्किल से जीत हासिल कर पाए और ज्यादातर राउंड में बीजेपी के सतीश कुमार से पीछे रहे।
राज्य में मतदान से करीब एक हफ्ते पहले महागठबंधन ने युवाओं के बीच तेजस्वी की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार चुना था। बिहार की सियासत को देखें तो तेजस्वी यादव को लालू यादव की राजनीतिक विरासत का असली उत्तराधिकारी माना जाता रहा है। हालांकि चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने खुद को एक मेहनती प्रचारक के रूप में स्थापित किया, लेकिन वे विपक्ष के इस आरोप को खारिज नहीं कर पाए कि अगर वे सत्ता में आए तो ‘जंगल राज’ की वापसी का प्रतीक बन जाएंगे।
तेजस्वी यादव का जन्म नौ नवंबर 1989 को बिहार के गोपालगंज जिले में हुआ। तेजस्वी पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की सबसे छोटी संतान हैं। नौ भाई-बहनों में सबसे छोटा होने के चलते बचपन से ही उन्हें सबका भरपूर प्यार मिला। दिसंबर 2021 में तेजस्वी ने दिल्ली में डीपीएस आरकेपुरम में साथ पढ़ी दोस्त राजश्री यादव से शादी की। तेजस्वी की शुरुआती पढ़ाई पटना में हुई। बाद में वे सबसे बड़ी बहन मीसा भारती के साथ दिल्ली आ गए। यहां उन्होंने दिल्ली पब्लिक स्कूल वसंत विहार में पांचवीं तक पढ़ाई की। फिर वे डीपीएस, आर. के. पुरम से नौवीं तक पढे। इसके बाद पढ़ाई छोड़कर क्रिकेट में करियर बनाने निकल पड़े।
उन्होंने दिल्ली पब्लिक स्कूल की क्रिकेट टीम में खेला और 13 साल की उम्र में ऑल राउंडर के रूप में दिल्ली की अंडर-15 क्रिकेट टीम के हिस्सा बने। बाद में दिल्ली की अंडर-17 और अंडर-19 क्रिकेट टीम में भी शामिल हुए। वे आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स और झारखंड क्रिकेट टीम का भी हिस्सा थे। 2013 में तेजस्वी ने क्रिकेट मैदान से संन्यास लिया और पूरी तरह से सियासी मैदान में उतर गए। तेजस्वी को बिहार के सबसे युवा उप-मुख्यमंत्री और भारत में सबसे युवा नेता विपक्ष के रूप में जाना जाता है। वैसे उनका राजनीतिक सफर 2010 में शुरू हो चुका था, जब उन्होंने आरजेडी के लिए जमकर प्रचार किया।
तेजस्वी ने पहली बार 2015 में आरजेडी की टिकट पर लालू का गढ़ माने जाने वाले राघोपुर से चुनाव लड़ा और जीत कर विधानसभा पहुंचे। उस वक्त आरजेडी का नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ गठबंधन था। चुनाव में गठबंधन की जीत हुई, तो नीतीश मंत्रिमंडल में तेजस्वी को उप-मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चला। तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और नीतीश ने इस्तीफा मांगा, लेकिन तेजस्वी ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। इसके बाद नीतीश कुमार ने जुलाई 2017 में गठबंधन तोड़ दिया और बीजेपी के साथ सरकार बना ली। आरजेडी को विपक्ष में बैठना पड़ा और तेजस्वी यादव नेता विपक्ष बने। साल 2018 आते-आते तेजस्वी आरजेडी के दमदार नेता और चेहरा बन गए।
साल 2020 में आरजेडी और कांग्रेस ने बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए हाथ मिलाया था और तेजस्वी को गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश किया गया था। इस गठबंधन ने 243 विधानसभा क्षेत्रों में से 110 पर जीत हासिल की, जिसमें अकेले आरजेडी ने 75 सीटें जीतकर बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।
हालांकि, वे सरकार नहीं बना सके और तेजस्वी को एक बार फिर नेता विपक्ष के पद से संतोष करना पड़ा। 2022 तक सत्ताधारी जेडीयू-बीजेपी गठबंधन में दरार पड़ने लगी और नीतीश कुमार ने सत्ता छोड़कर एक बार फिर आरजेडी के साथ हाथ मिलाने का फैसला किया। नई बिहार सरकार ने 10 अगस्त, 2022 को शपथ ली, जिसमें नीतीश कुमार मुख्यमंत्री और तेजस्वी यादव उप-मुख्यमंत्री बने। हालांकि उस दौर में भी जेडीयू और आरजेडी में मतभेद होते रहे।
जुलाई 2023 में 14 साल पुराने ‘नौकरी के लिए जमीन’ केस में सीबीआई ने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ नई चार्जशीट दाखिल की। इसी मुद्दे पर अगले साल जनवरी में नीतीश ने एक बार फिर महागठबंधन से नाता तोड़ लिया। तेजस्वी को डिप्टी सीएम की कुर्सी छोड़ विपक्ष में बैठना पड़ा। हालांकि महागठबंधन ने 2025 के राज्य चुनाव में तेजस्वी यादव पर अपना भरोसा जताया था, लेकिन लालू और राबड़ी के राजनीतिक उत्तराधिकारी अपना वादा पूरा नहीं कर पाए, जिससे गठबंधन को चुनाव में भारी हार का सामना करना पड़ा।