Rajya Sabha: विदेश मंत्री ने चीन-पाकिस्तान गठजोड़ के मुद्दे पर विपक्ष को घेरा

Rajya Sabha: राज्यसभा में विदेश मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हुए कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार की तरफ से कई कदम उठाए गए। इसके तहत कई राजनयिकों को वापस भेजा गया और पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजा गया। सबसे अहम जो कदम उठाया गया, वो था सिंधु जल समझौते को स्थगित करना।

विदेश मंत्री ने कहा कि ‘सिंधु जल समझौते के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री ने लोकसभा में दिए अपने भाषण में पाकिस्तान के हितों की बात की पाकिस्तानी पंजाब की फिक्र थी, लेकिन उन्होंने भारतीय राज्यों के हितों को अनदेखा किया। तत्कालीन पीएम ने उस वक्त लोकसभा में कहा कि संसद को ये हक नहीं कितना पैसा दिया गया और कितना पानी। कहा जाता है कि सिंधु जल समझौता अच्छी भावना और दोस्ती के तहत किया गया, लेकिन 1960 के बाद से पाकिस्तान ने लगातार भारत पर हमले और आतंकवाद को बढ़ावा दिया।’

विपक्ष को घेरा-

विदेश मंत्री ने कहा ‘मोदी सरकार में हमने आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है और साफ कर दिया है कि परमाणु  बम की धमकी नहीं चलेगी, पानी और खून साथ-साथ नहीं बहेंगे और बातचीत और आतंकवाद भी साथ-साथ नहीं होगा। चीन और पाकिस्तान गठजोड़ पर विदेश मंत्री ने कहा कि विपक्ष में कई चीन गुरु हैं, जो चीन के बारे में मुझसे भी ज्यादा जानते हैं, जिसने कूटनीतिक क्षेत्र में 41 साल का का अनुभव है। विपक्ष के लोगों का चीन ज्ञान ओलंपिक में जाने से हुआ। पर कभी-कभी क्या होता है कि ओलंपिक के क्लासरूम में जो बातें होती हैं तो कुछ छूट भी जाती हैं तो प्राइवेट क्लासेस भी लेनी पड़ती हैं। चीनी राजदूत प्राइवेट क्लास देते हैं।’

‘विपक्ष का आरोप है कि पाकिस्तान चीन का गठजोड़ मजबूत हो गया है, लेकिन उनका गठजोड़ पीओके की वजह से हुआ क्योंकि हमने पीओके छोड़ दिया था। हम मानते हैं कि चीन और पाकिस्तान करीब आ गए हैं, ये सच है, लेकिन ये हुआ कब। 2005 में पाकिस्तान-चीन के बीच दोस्ती को लेकर समझौता हुआ, फिर मुक्त व्यापार समझौता और फिर ग्वादर बंदरगाह और हंबनटोटा बंदरगाह, वो यूपीए के समय में हुआ। यूपीए सरकार में चीन को हमारा रणनीतिक साझेदार घोषित किया गया। 2006 में चीन के साथ रीजनल ट्रेडिंग करने पर सहमति बनी और टास्क फोर्स बनाने की घोषणआ हुई। समुद्री क्षेत्र में बीते 20 वर्षों में कहीं नुकसान पहुंची है तो सबसे बड़ी चोट हंबनटोटा बंदरगाह बनने से पहुंची और 2005 में ये हुआ और उस वक्त की सरकार ने लोकसभा में कहा था कि ये हमारे लिए चिंता की बात नहीं है। चीन ने नेपाल को हथियार पहली बार जब भेजे, तब यूपीए की सरकार थी। तो जो चीन गुरु आज ज्ञान देते हैं कि चीन और पाकिस्तान जुड़ गए हैं तो वो किसके समय में जुड़े और किसने उन्हें जोड़ा। विदेश मंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने मुंबई हमले के बाद कोई कार्रवाई नहीं की, वो लोग आज पीओके पर सवाल कर रहे

मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद क्या बदला-

विदेश मंत्री ने कहा कि ‘मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद आतंकवाद के खिलाफ देश का बदला है कि अब हम हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद को मुख्य मुद्दा बनाते हैं। चाहे वो एससीओ हो, ब्रिक्स हो या फिर कोई भी अन्य वैश्विक मंच। हमने एफएटीएफ के जरिए पाकिस्तान पर दबाव बनाया। आतंकी घटनाओं के वित्तपोषण पर रोक लगाई गई है। पाकिस्तानी आतंकी संगठनों को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित कराया गया है। पहली बार संयुक्त राष्ट्र ने माना कि टीआरएफ, लश्कर ए तैयबा का छद्म संगठन है। मुंबई हमले के बाद जब ब्रिक्स सम्मेलन हुआ था तो उसमें मुंबई हमले को लेकर कोई बात नहीं हुई और न ही आतंकवाद का मुद्दा उठाया गया। हमारी सरकार आने के बाद पहलगाम आतंकी हमले को वैश्विक मंचों पर जोर-शोर से उठाया गया। हमने पाकिस्तान को संदेश दिया है कि अब हम आतंकी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करेंगे और हर आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।’

ट्रंप के दावों पर बोले-

जयशंकर बोले ‘9 मई को अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री को कॉल किया और बताया कि पाकिस्तान बड़ा हमला करने वाला है। प्रधानमंत्री ने उनकी बात सुनी और कहा कि अगर ऐसा होगा तो पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा और ऐसा ही हुआ। हमारी सेना के हमले में पाकिस्तान का एयर डिफेंस सिस्टम तबाह हो गया।

इसके बाद पाकिस्तान की तरफ से डीजीएमओ स्तर पर संघर्षविराम की अपील की गई। मैं ये बात कहना चाहता हूं कि किसी देश ने संघर्ष विराम में कोई मध्यस्थता नहीं की और संघर्ष विराम का व्यापार से कोई संबंध नहीं है। जयशंकर ने ये भी कहा कि 22 अप्रैल से लेकर 16 जून तक पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच कोई बात नहीं हुई।’

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि ’25 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक बयान जारी किया गया, जिसमें पहलगाम आतंकी हमले के जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाए। खास बात ये है कि उस समय पाकिस्तान सुरक्षा परिषद का सदस्य था, जबकि भारत सदस्य नहीं था। इसके बावजूद पहलगाम आतंकी हमले पर सुरक्षा परिषद से बयान जारी किया गया। इसके साथ ही जयशंकर ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद दुनियाभर से भारत को मिले समर्थन का जिक्र किया।’

जयशंकर ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर की सफलता क्या है तो मैं कहना चाहता हूं कि इससे पाकिस्तान का आतंकवाद और आतंक का गठजोड़ पूरी दुनिया के सामने बेनकाब हो गया, सोशल मीडिया पर जाकर देख सकते हैं कि पाकिस्तानी एयरबेस का क्या हुआ।’

मुंबई आतंकी हमला-

जयशंकर ने कहा कि ‘पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की तरफ से सटीकता से आतंकी ठिकानों पर हमले किए और ये हमले उकसावे वाली कार्रवाई के तहत नहीं किए गए। भारत ने लंबे समय तक आतंकवाद झेला है, लेकिन अगर हमें किसी को ये बात समझानी है तो पूरी दुनिया देखती है कि भारत ने इन हमलों पर कैसे जवाब दिया। लेकिन पूर्व में देखा गया कि कई बड़े आतंकी हमलों के बाद भी भारत ने पाकिस्तान के साथ बातचीत जारी रखी और कोई खास कदम नहीं उठाया। इससे पूरी दुनिया में एक संदेश गया।’

‘मुंबई में 2008 में आतंकी हमला हुआ। उसके बाद शर्म अल शेख में दोनों देशों के बीच एक बैठक हुई, जिसमें माना गया है कि आतंकवाद से दोनों देश प्रभावित हैं और दोनों देश आतंकवाद से पीड़ित हैं। इस तरह से आतंकवाद का सामान्यीकरण किया गया। भारत की तरफ से पाकिस्तान को घेरने के लिए कुछ खास नहीं किया गया। ऐसे में दुनिया हमें कैसे गंभीरता से लेगी?’

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