Rahul Gandhi: कांग्रेस ने कहा कि राहुल गांधी के वकील ने उनकी सहमति के बिना उनकी जान को खतरे का मुद्दा उठाया और अदालत में बयान वापस ले लिया जाएगा। पुणे में न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) अमोल शिंदे के समक्ष गांधी के वकील मिलिंद पवार द्वारा दायर एक आवेदन में कहा गया है कि गांधी को विनायक दामोदर सावरकर और नाथूराम गोडसे की विचारधारा के अनुयायियों से नुकसान हो सकता है और “निवारक सुरक्षा” प्रदान करना राज्य का संवैधानिक दायित्व है।
कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि गांधी के वकील ने उनकी सहमति के बिना अदालत में उनकी जान को खतरे का मुद्दा उठाया। खेड़ा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “श्री गांधी को इस पर कड़ी आपत्ति है और कल उनके वकील अदालत में अपना बयान वापस ले लेंगे।”
उन्होंने वकील द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति भी साझा की, जिसमें कहा गया था कि “13.08.2025 की ये याचिका मेरे द्वारा मुवक्किल के निर्देशों के बिना अदालत में दायर की गई थी।” पवार ने कहा, “मैंने अपने मुवक्किल श्री राहुल गांधी से परामर्श किए बिना याचिका की विषयवस्तु तैयार की थी। मेरे मुवक्किल ने 13.08.2025 की ये याचिका दायर करने पर कड़ी आपत्ति जताई है और याचिका की विषयवस्तु से अपनी असहमति जताई है।”
उन्होंने कहा, “मैं कल माननीय न्यायालय के समक्ष उक्त याचिका वापस लेने के लिए एक औपचारिक आवेदन दायर करूंगा।” ये मामला, जिसकी सुनवाई अभी शुरू होनी है, स्वतंत्रता सेनानी और हिंदुत्व विचारक वी. डी. सावरकर के खिलाफ गांधीजी द्वारा कथित तौर पर की गई कुछ टिप्पणियों से संबंधित है।
आवेदन में कहा गया है कि शिकायतकर्ता सत्यकी सावरकर ने स्वीकार किया है कि वे भी मातृवंश के माध्यम से महात्मा गांधी की हत्या के मुख्य आरोपी नाथूराम गोडसे और गोपाल गोडसे के प्रत्यक्ष वंशज हैं। आवेदन में कहा गया है कि राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं और उन्होंने हाल ही में नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा “चुनावी धोखाधड़ी” के सबूत देश के सामने रखे थे।
गांधी ने संसद परिसर में “वोट चोर सरकार” जैसे नारे लगाते हुए विरोध प्रदर्शन भी किया।
आवेदन में कहा गया है, “शिकायतकर्ता के वंश से जुड़ी हिंसक और संविधान-विरोधी प्रवृत्तियों के प्रलेखित इतिहास और मौजूदा राजनीतिक माहौल को देखते हुए, ये साफ, उचित और ठोस आशंका है कि राहुल गांधी को विनायक दामोदर सावरकर की विचारधारा को मानने वाले लोगों द्वारा नुकसान पहुंचाया जा सकता है, गलत तरीके से फंसाया जा सकता है या किसी और तरह से निशाना बनाया जा सकता है।”
आवेदन में आगे कहा गया है, “ऐसी परिस्थितियों में, निवारक संरक्षण न केवल विवेकपूर्ण है, बल्कि राज्य का एक संवैधानिक दायित्व भी है।” वकील पवार ने पहले कहा था कि ये ‘पर्सिस’ या आवेदन “वर्तमान कार्यवाही की निष्पक्षता, अखंडता और पारदर्शिता को कानूनी रूप से सुरक्षित रखने” के मकसद से एहतियाती उपाय के रूप में प्रस्तुत किया गया था।