PM Modi: प्रधानमंत्री मोदी ने 10 हजार भारतीय नागरिकों का जीनोम अनुक्रमण डेटा जारी किया

PM Modi: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10,000 भारतीय नागरिकों का जीनोम अनुक्रमण डेटा जारी किया और कहा कि यह जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा। जीनोम इंडिया डेटा देश में आनुवंशिक विविधता का प्रतिनिधित्व करता है। भारतीय जैविक डेटा केंद्र (आईबीडीसी) के शोधकर्ताओं को ये ‘प्रबंधित पहुंच’ के माध्यम से उपलब्ध होगा।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित जीनोमिक्स डेटा सम्मेलन में मोदी ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि देश के 20 से ज्यादा शोध संस्थानों ने इसमें अहम भूमिका निभाई है। इस परियोजना का डेटा 10 हजार भारतीयों का ‘जीनोम सिक्वेंस’ अब इंडिया बायोलॉजिकल डेटा सेंटर में उपलब्ध है। मुझे विश्वास है कि बायो-टेक्नोलॉजी शोध के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा।’’

मोदी ने कहा कि आईआईटी, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं नवाचार केंद्र (ब्रिक) जैसे 20 से भी ज्यादा प्रसिद्ध अनुसंधान संस्थानों ने इस शोध में अहम भूमिका निभाई है।

उन्होंने कहा, ‘‘आज भारत ने शोध की दुनिया में बहुत ही ऐतिहासिक कदम उठाया है। पांच साल पहले जीनोम इंडिया परियोजना को स्वीकृत किया गया था। इस बीच कोविड की चुनौतियों के बावजूद हमारे वैज्ञानिकों ने बहुत मेहनत से इस परियोजना को पूरा किया है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस राष्ट्रीय डेटाबेस में देश के असाधारण आनुवंशिक परिदृश्य को समाहित किया गया है और ये एक अमूल्य वैज्ञानिक संसाधन के रूप में काम करने का वादा करता है। उन्होंने कहा, ‘‘ये आनुवांशिक और संक्रामक रोगों के इलाज में प्रगति की सुविधा प्रदान करेगा, नई दवाओं और सटीक चिकित्सा तकनीकों के विकास को बढ़ावा देगा और विविध समुदायों की जीवनशैली और आदतों में अनुसंधान को सक्षम करेगा।’’

जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित सम्मेलन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने शोधकर्ताओं के साथ आनुवंशिक डेटा साझा करने के लिए ‘डेटा के आदान-प्रदान प्रोटोकॉल’ के लिए रूपरेखा का अनावरण किया। सिंह ने ‘इंडियन बायोलॉजिकल डेटा सेंटर (आईबीडीसी) डेटा एक्सेस पोर्टल’ भी जारी किया और ‘जीनोम इंडिया डेटा पर प्रस्तावों के लिए कॉल’ का अनावरण किया। उन्होंने कहा, ‘‘इससे भारतीय आबादी के अद्वितीय जीनोमिक पैटर्न को समझने में मदद मिलेगी। और उसके बाद ही हम किसी खास समूह की खास समस्याओं के लिए विशेष समाधान या प्रभावी दवाएं तैयार कर सकते हैं।’’

मोदी ने कहा कि भारत में अनुसंधानकर्ता अब भी ऐसी बीमारियों से अनजान हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती हैं और जीनोम इंडिया परियोजना इस तरह की बीमारियों का प्रभावी इलाज करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘ये आनुवांशिक और संक्रामक रोगों के उपचार में प्रगति की सुविधा प्रदान करेगा, नयी दवाओं और सटीक चिकित्सा तकनीकों के विकास को बढ़ावा देगा और विविध समुदायों की जीवनशैली और आदतों में अनुसंधान को सक्षम करेगा।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए भारत की ओर देख रही है। उन्होंने कहा, ‘‘ये हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए जिम्मेदारी और मौका दोनों है। इसलिए आज भारत में एक बहुत बड़ा रिसर्च इकोसिस्टम तैयार हो रहा है। पिछले 10 सालों में शिक्षा के हर स्तर पर अनुसंधान और नवाचार पर बहुत जोर दिया गया है। मोदी ने कहा कि भारत ने दुनिया के एक प्रमुख फार्मा हब के रूप में अपनी पहचान स्थापित की है और पिछले दशक में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के संबंध में कई क्रांतिकारी कदम उठाए हैं।

प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव राजीव बहल और जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव राजेश एस गोखले भी इस मौके पर मौजूद थे।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “मुझे विश्वास है बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च के क्षेत्र में ये प्रोजेक्ट एक मील का पत्थर साबित होगा। मुझे खुशी है कि देश के 20 से ज्यादा दिग्गज रिसर्च संस्थानों जैसे आईआईएससी, आईआईटी, सीएसआईआर और बीआरआईसी ने इस रिसर्च में अहम भूमिका निभाई है। इस प्रोजेक्ट का डेटा 10 हजार भारतीय का जीनोम सीक्वेंस अब इंडियन बायोलॉजिकल डेटा सेंटर में उपलब्ध है।”

“हमारे आदिवासी समाज में सिकल सेल एनीमिया की बीमारी एक बहुत बड़ा संकट है, इससे निपटने के लिए हमने नेशनल मिशन चलाया है, लेकिन इसमें भी चुनौतियां कम नहीं हैं। संभव है कि सिकल सेल की जो समस्या किसी एक क्षेत्र में हमारे आदिवासी समाज में हो, वो दूसरे क्षेत्र के आदिवासी समाज में न भी हो, वहां दूसरे प्रकार का हो। इन सारी बातों का पक्का पता हमें तब चलेगा, जब एक कंप्लीट जेनेटिक स्टडी हमारे पास होगी। भारतीय आबादी के अनूठे जीनोमिक पैटर्न को समझने में इससे मदद मिलेगी और तभी हम किसी खास ग्रुप की विशेष परेशानी के लिए वैसे ही विशेष सॉल्यूशन या फिर प्रभावी दवाएं तैयार कर सकते हैं। मैंने सिकल सेल का उदाहरण दिया, लेकिन ये इतने तक सीमित नहीं है। ये तो मैंने एक उदाहरण के लिए बताया। भारत में आनुवांशिक रोगों यानी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को ट्रांसफर होने वाली बीमारियों के बहुत बड़े हिस्से से आज भी हम अनजान हैं। जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट भारत में ऐसी सभी बीमारियों के लिए, प्रभावी इलाज के विकास में मदद करेगा।”

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *