Lok Sabha: लोकसभा ने त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी विधेयक, 2025 को पारित किया

Lok Sabha: लोकसभा ने सहकारी समितियों के लिए योग्य जनशक्ति तैयार करने के उद्देश्य से गुजरात के आणंद में ‘त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय’ स्थापित करने के लिए एक विधेयक पारित किया। सहकारिता मंत्री अमित शाह ने त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 पर बहस के दौरान कहा कि विश्वविद्यालय का नाम त्रिभुवनदास किशीभाई पटेल के नाम पर रखा गया है, जो भारत में सहकारी आंदोलन के अग्रदूतों में से एक थे और अमूल की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

उन्होंने कहा कि 1946 में शुरू हुई अमूल की यात्रा 60,000 करोड़ रुपये के कारोबार के साथ दुनिया के सबसे बड़े डेयरी ब्रांड में बदल गई है। प्रस्तावित विश्वविद्यालय सहकारी क्षेत्र में कर्मचारियों और बोर्ड के सदस्यों की क्षमता निर्माण के लंबे समय से लंबित मुद्दे को भी अखिल भारतीय और केंद्रित तरीके से संबोधित करेगा।

विधेयक के मुताबिक, सहकारी क्षेत्र में वर्तमान शिक्षा और प्रशिक्षण का बुनियादी ढांचा सहकारी समितियों में योग्य जनशक्ति और मौजूदा कर्मचारियों की क्षमता निर्माण की वर्तमान और भविष्य की मांग को पूरा करने के लिए बेहद अपर्याप्त है। विधेयक में कहा गया है कि ये जरूरी है कि एक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना करके शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के लिए व्यापक, एकीकृत और मानकीकृत संरचना बनाई जाए, ताकि सहकारी समितियों में प्रबंधकीय, पर्यवेक्षी, प्रशासनिक, तकनीकी और परिचालन जैसी अलग-अलग श्रेणी में नौकरियों के लिए पेशेवर रूप से योग्य जनशक्ति की स्थिर, पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।

केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि “इसका नाम रखने का जब सवाल आया तो इसको त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय रखने का निर्णय लिया। माननीय अध्यक्ष त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय जो नाम रखा उसेक पीछे सहकारिता का दुनियाभर को आश्चर्यचकित करने वाला एक मॉडल और गांधी जी के सिंद्धातों से युक्त सहकारिता के सिद्धांतों के आधार पर ही प्रमाणिकता के साथ पूरा जीनव व्यतीत करने वाले व्यक्तित्व की भी इसमें बात आती है।

ये त्रिभुवन जो नाम आया है ये श्री त्रिभुवन किशीभाई पटेल के नाम से। और ये त्रिभुवन भाई पटेल वो व्यक्ति हैं जिन्होंने अमूल की नींव डालने का काम किया। एक 250 लीटर से शुरू की हुई अमूल की यात्रा जो 1946 के अंदर गुजरात के एक कस्बे से शुरू हुई, वो आज भारत का सबसे बड़ा डेरी ब्रांड बनकर विश्व के सामने प्रस्तुत है। अमूल का मॉडल आज जितना विकसित हुआ है, मैं जब स्थापना हुई तब की तो बात नहीं करता। मगर 2003 में अमूल का टर्नओवर 2882 करोड़ था। आज अमूल की बिक्री 60,000 करोड़ को पार कर गई है।”

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