Kerala News: केरल राज्य का नाम केरलम करने का प्रस्ताव, विधानसभा में विपक्ष का भी मिला समर्थन

Kerala News: केरल को नाम अब केरलम होने जा रहा है। केरल की विधानसभा ने इसपर मुहर लगा दी है। केरल का नाम केरलम करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने रखा और सदस्यों ने सर्वसम्मति से इसे पास कर दिया। दरअसल मलयालम में केरल को केरलम ही कहा जाता है। काफी समय से केरल को केरलम कहने के लिए मांग उठ रही थी। अब केरलम नाम के लिए बाकायदा प्रस्ताव सदन में पेश किया गया है।

देश में भाषाई आधार पर राज्यों का गठन 1 नवंबर 1956 को किया गया था। एक नवंबर ही केरल का स्थापना दिवस भी है। आजादी के समय से ही मलयालम भाषी क्षेत्र को मिलाकर एक केरल राज्य बनाने की मांग की गई थी। राज्यों का गठन हुआ तो इस क्षेत्र को केरल कहा गया लेकिन आम बोलचाल में केरल राज्य में इसे केरलम ही पुकारा गया। लेकिन केरल से बाहर लोगों के लिए यह राज्य केरल ही रहा है। अब राज्य सरकार ने इसे केंद्र सरकर की आठवीं अनुसूची के तहत सभी आधिकारिक भाषाएं में राज्य का नाम केरल से केरलम करने का अनुरोध किया है एक तरह से अब केवल इसी दिशा केंद्र से अनुमति की औपचारिकता ही बाकी है। संविधान की पहली अनुसूची में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और उनके क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्रों की गणना की गई है। विपक्ष की सहमति के साथ विधानसभा में प्रस्ताव पास हो चुका है। अब केंद्र को फैसला लेना है। हालांकि इससे पहले केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल का नाम बांग्ला करने की सिफारिश को स्वीकार नहीं किया था।

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जहां तक केरल को केरलम करने का सवाल है तो माना जा सकता है कि इसमें केंद्र के स्तर पर अनुमति मिलने पर कोई दिक्कत नहीं होगी। इस समय केवल केरल ही नहीं पश्चिम बंगाल में भी नाम बदलने की कवायद चल रही है। वहां के लोग राज्य को बांगला पुकारना चाहते हैं। दरअसल इसमें ध्वनियों की भी गूंज होती है। जिस तरह मुंबई वालों को बंबई के बजाय मुंबई कहना और पश्चिम बंगाल को बांग्ला कहना अच्छा लगता है उसी तरह केरल वासियों के मन में रहा है कि उनके प्रदेश को केरलम पुकारा जाए।

केरल को पहले त्रावणकोर कोचीन के नाम से पुकारा जाता था। एक नवंबर को इसका नाम बदला। दरअसल 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में प्रस्ताव पास हुआ था कि राज्य सिर्फ क्षेत्रीय आधार पर ही नहीं भाषाई आधार पर भी बनने चाहिए । मलयाली बोलने वालों ने एक्य केरल मूवमेंट भी चलाय़ा था। एक जुलाई 1949 को त्रावणकोर कोचीन रियासत को मिलाकर संयुक्त राज्य त्रावणकोर और कोची मिलाया गया। बाद में इसे त्रावणकोर और कोच्चि पुकारा गया। लेकिन कुछ लोगों को इससे नाराजगी रही। इसके लिए आंदोलन भा हुए। आखिरकार इसे केरल नाम दिया गया। केरल में नारियल की बहुतायत है। पर्यटन के लिए यह राज्य मशहूर है। केरल के मसालों की भी अपनी पहचान है। केरल में साक्षरता का प्रतिशत काफी ऊंचा है।

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इसी तरह पहले मध्य प्रदेश को मध्य भारत और तमिलनाडु को मद्रास स्टेट कहा जाता था। इसी तरह उत्तराखंड़ नाम को बीजेपी सरकार ने उत्तरांचल नाम दिया था। बाद में भी उसे कांग्रेस सरकार ने उत्तराखंड नाम दिया। उडीसा को अब ओडिशा पुकारा जाता है। नार्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी यानी नेफा का नाम अरुणांचल किया गया।

राज्यों को नाम बदलने के पीछे जनभावना भी कारण रहा है और सियासत का भी जोर रहा है। लेकिन नाम देने के पीछे राज्य की पहचान उसकी संस्कृति भाषा इसके मूल में रही है। इसलिए जब भी नाम बदलने की बात हुई तो इसमें कोई बड़ी अडचन नहीं आई। राज्यों में जिलों और शहरों के नाम तो बड़े स्तर पर बदले गए लेकिन कई राज्यों का नाम भी बदला गया। यही नहीं दुनिया में तो कई देशों के नाम भी बदले गए हैं।

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