Indira Gandhi: इंदिरा गांधी की 108वीं जयंती, भारत की आयरन लेडी

Indira Gandhi: आज  भारत की पहली और अब तक की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 108वीं जयंती है। इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में 19 नवंबर 1917 को हुआ था। उनके पिता देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे। माता का नाम कमला नेहरू था।

इंदिरा गांधी ने शांतिनिकेतन से अपनी शिक्षा हासिल की, बाद में इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी की। बाद में उनका विवाह फिरोज गाधी से हुआ। इंदिरा गांधी बचपन से ही राजनीति के वातावरण में पली-बढ़ीं। वह अपने पिता के साथ राजनीति में सक्रिय भूमिका में रहीं।  पिता नेहरू के सान्निध्य में उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन की ज्वाला को करीब से देखा और उसी ने उनके भीतर नेतृत्व की लौ जलाई।

इंदिरा गांधी ने दो दशक से अधिक समय तक देश का नेतृत्व किया। उनका शासनकाल कई ऐतिहासिक निर्णयों और चुनौतियों से भरा रहा।

भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री 

जब देश आर्थिक संकट और अस्थिरता से जूझ रहा था, तब इंदिरा गांधी ने मजबूत नेतृत्व के साथ भारत की बागडोर संभाली। साल 1966 में वह देश की पहली महिला प्रधानमंत्री नियुक्त हुईं।

‘गरीबी हटाओ’ का नारा

इंदिरा गांधी ने समाज के निचले तबके के उत्थान के लिए नीतियां बनाईं और गरीबी हटाओ अभियान चलाकर आम जनता में उम्मीद जगाई।

1971 का भारत-पाक युद्ध और बांग्लादेश की आजादी

उनके नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को हराया और बांग्लादेश का जन्म हुआ। इस विजय ने उन्हें “Iron Lady of India” बना दिया।

पोखरण परमाणु परीक्षण

इंदिरा गांधी ने 1974 में भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देशों की श्रेणी में खड़ा किया। यह भारत के आत्मनिर्भर होने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था।

हरित क्रांति 

उन्होंने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार किए, जिससे भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हुआ।

बैंक राष्ट्रीयकरण

इंदिरा गांझी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। इस फैसले ने आर्थिक असमानता को घटाने और गरीबों को वित्तीय सशक्तिकरण देने में मदद की।

विवाद और आपातकाल 

1975 में इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल (Emergency) लगाया, यह उनके राजनीतिक जीवन का सबसे विवादित निर्णय रहा। हालांकि इस निर्णय की आलोचना हुई, पर उनके समर्थक इसे देश की स्थिरता बनाए रखने की कोशिश मानते हैं।

इंदिरा गांधी को “आयरन लेडी” के नाम से जाना जाता है। उनका व्यक्तित्व ऐसा था जो कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानता था। चाहे बाहरी सुरक्षा चुनौतियां हों या आंतरिक राजनीतिक उतार–चढ़ाव, इंदिरा गांधी हमेशा दृढ़ता से खड़ी रहीं। देश के गरीब और वंचित वर्ग में उनकी लोकप्रियता आज भी देखी जा सकती है।

31 अक्टूबर 1984 को अपने कर्तव्यपथ पर चलते हुए वे शहीद हो गईं। अपनी अंतिम घोषणा में उन्होंने कहा था— “मैं जीवन से नहीं डरती, यदि मुझे मरना पड़े तो प्रत्येक बूंद भारत के विकास को मजबूत करने में उपयोगी होगी।” यह वाक्य उनके राष्ट्रप्रेम और समर्पण का सार है। इंदिरा गांधी की 108वीं जयंती पर देशभर में कार्यक्रम, संगोष्ठियां और श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की जा रही हैं। यह दिन उनकी नीतियों, योगदान और साहसिक निर्णयों को याद करने का अवसर है। उनका जीवन आज भी इस संदेश को दोहराता है कि— “दृढ़ इच्छाशक्ति, निडर नेतृत्व और राष्ट्र के प्रति समर्पण ही महानता की वास्तविक पहचान है।”

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