Gulmarg: जम्मू-कश्मीर का गुलमर्ग उन 40 विधानसभा सीट में एक है, जहां एक अक्टूबर को आखिरी दौर में वोट डाले जाएंगे, उत्तर कश्मीर में बारामुला जिले की सीट पाकिस्तान की सीमा से सटी है। आखिरी बार 2014 में हुए चुनाव में इस सीट पर महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी काबिज हुई थी।
इस बार यहां मुख्य रूप से ‘अपनी पार्टी’ और नेशनल कॉन्फ्रेंस उम्मीदवारों के बीच कड़े मुकाबले के आसार हैं, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पूर्व नौकरशाह फारूक अहमद शाह को चुनाव मैदान में उतारा है। वे रोजगार के बेहतर मौकों का वादा कर रहे हैं। उनकी उम्मीदें युवाओं पर टिकी हैं।
पीडीपी के बैनर तले गुलमर्ग से दो बार चुने गए गुलाम हसन मीर की उम्मीद भी युवाओं पर टिकी है, इस बार वह ‘अपनी पार्टी’ के उम्मीदवार हैं। गुलमर्ग के वोटरों, खास कर युवाओं और पहली बार वोट देने वालों का सबसे अहम मुद्दा रोजगार है, गुलमर्ग की अर्थव्यवस्था में मुख्य योगदान टूरिज्म का है। इंडस्ट्री से जुड़े लोग आने वाली सरकार से रोजगार के बेहतर मौके मुहैया कराने की अपील कर रहे हैं, ताकि टूरिज्म के साथ-साथ इलाके का भी विकास हो।
गुलमर्ग में टूरिज्म इंडस्ट्री की प्रमुख शिकायतों में एक है, होटलों का लीज अपडेट न होना, लोगों को उम्मीद है कि एक अक्टूबर को वे ऐसे उम्मीदवार को अपना नुमाइंदा बना सकेंगे, जो उनकी शिकायतें दूर करे। 90 सीट वाली जम्मू कश्मीर विधानसभा के लिए तीन दौर में चुनाव हो रहे हैं। वोटों की गिनती आठ अक्टूबर को होगी।
नेशनल कॉन्फ्रेंस उम्मीदवार फारूक अहमद शाह का कहना है कि “इस इलाके में ह्यूज पोटेंशियल है और ये बहुत पीछे रहा है ये इलाका, बहुत सारी यहां परेशानियां है। खासकर नौजवानों के रोजगार की समस्या, बेरोजागारी बहुत ज्यादा है। इसलिए आप जनता की पल्स देख रहे हैं। हर जगह यही हाल है, लोग हजारों की तादाद में बाहर आते हैं। खासकर नौजवान, यूथ, यूथ ही एक इन्कलाब लाते हैं। इन युवाओं को मुझसे बहुत उम्मीदें हैं।”
अपनी पार्टी उम्मीदवार गुलाम हसन मीर ने कहा कि “वह यूथ से ही पूछिए कल जो इतने जनसे जब हमारे होते हैं उनमें हमारे यूथ की हिस्सेदारी आप देख रहे हैं। यूथ महसूस कर रहा है कि गुलाम हसन मीर हमारा बाप है। ये बाप बेटे का रिश्ता है। जब बाप की पगड़ी को कोई उछाल ना चाहे तो यूथ वायलेंट हो जाता है और आज आप देखें कि यूथ किस तरह से अपना साथ मेरे साथ दिखाता है। सपोर्ट दिखा रहा है और बड़ी शिद्दत से मुखालफीन की मुखालफत कर रहा है। हालांकि, मैं ऐसा नहीं चाहता हूं, लेकिन उनके जज्बात आउट ऑफ कंट्रोल हो जाते हैं जब मुखालफीन मेरे खिलाफ गलत इल्जाम लगाते हैं।”
इसके साथ ही स्थानीय निवासियों का कहना है कि “135 करोड़ की आबादी वाला है हिंदुस्तान हमारा, इसमें गवर्नमेंट की पॉलिसी ऐसी होनी चाहिए, जिससे लोगों को रोजगार मिले। ना कि रोजगार छिने, लेकिन यहां की गवर्नमेंट और ब्यूरोक्रेट्स की ऐसी पॉलिसी रही हैं जिससे लोगों का रोजगार जाता रहा है ना कि लोगों को रोजगार मिला। हमारे यहां बहुत सारे रिसोर्सेज हैं, जहां पर लोग काम करेंगे। हमारा यहां पर एक नाला है लेफ्ट साइड में अगर आप देखेंगे। ये बहुत बड़ा नाला है, जिसमें बहुत सारे लोग रोजगार अपना कमाते थे, कुछ सालों से इसे भी आउटलेट कर दिया गया। लीज पर दे दिया। तो उससे क्या हुआ कि यहां के लोकल मजदूर हैं, ट्रैक्टर वाले उनका रोजगार बिल्कुल खत्म हो गया। कुछ लोग ऐसे हैं जिन्होंने गाड़ियां बेच दी अपनी जिनके ऊपर उनका रोजगार चलता था।”
लोगों का कहना है कि “पर्यटन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, क्योंकि यहां बहुत सारे कैपेबल युवा हैं, जिनमें से कई ने अपनी पीएचडी पूरी कर ली है, लेकिन रोजगार की कमी की वजह से अभी भी घर बैठे हैं। पिछले तीन से पांच सालों में मैंने देखा है कि पीएचडी धारकों के साथ हाइली एजुकेटेड डिप्रेशन में पड़ रहे हैं, क्योंकि उनके पास कोई काम नहीं है। हम सरकार से इन मुद्दों पर ध्यान देने की अपील करते हैं, ताकि शिक्षित युवाओं को पर्यटन के इलाके में जगह मिल सके।”