FDI Insurance: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने के प्रावधान वाला विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया।
विपक्ष के कई सदस्यों ने ‘सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) विधेयक, 2025’ पेश किए जाने का विरोध किया, जिस पर वित्त मंत्री ने कहा कि कई मुद्दे उठाए गए हैं जो चर्चा का हिस्सा होना चाहिए और विधेयक पेश किए जाने के समय ये नहीं उठाए जाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वित्तीय समावेशन का व्यापक काम हुआ है। रिवोल्शयूनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि भला बीमा का ‘सबका बीमा’ और ‘सबकी सुरक्षा’ जैसी शब्दावली से क्या संबंध है।
उन्होंने कहा कि विधेयक और इसके शीर्षक के बीच कोई तालमेल नहीं है। उन्होंने दावा किया कि बीमा क्षेत्र में 100 फीसदी की एफडीआई राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उचित नहीं है। प्रेमचंद्रन का कहना था कि ये विधेयक आम लोगों की सुरक्षा के लिए नहीं है, इस कारण से भी वे इसका विरोध करते हैं। द्रमुक सांसद टी सुमति ने कहा कि ये विधेयक देश की संघीय व्यवस्था के अनुकूल नहीं है।
उन्होंने कहा कि 100 फीसदी एफडीआई उचित नहीं है और ये भारतीय बीमा क्षेत्र के हितों के प्रतिकूल भी है। तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत रॉय ने विधेयक के नाम को लेकर आपत्ति जताई और कहा कि ये कानूनों के ‘हिंदीकरण’ का प्रयास है और नाम से लगता है कि ये सरकार का नारा है।
आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के नेता चंद्रशेखर और कुछ और सदस्यों ने भी विधेयक पेश किए जाने का विरोध किया। सीतारमण ने विधेयक पेश किए जाने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी। ‘सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) विधेयक, 2025’, बीमा अधिनियम, 1938, जीवन बीमा निगम अधिनियम, 1956 और बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 में संशोधन करने के लिए लाया जा रहा है।
इसमें कहा गया है कि संशोधन से बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सीमा 74 प्रतिशत से बढ़कर 100 प्रतिशत हो जाएगी। विधेयक के अनुसार, बीमा क्षेत्र में एफडीआई को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने के बावजूद शीर्ष अधिकारियों में से एक-अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक या सीईओ- एक भारतीय नागरिक होना चाहिए।
ये एक गैर-बीमा कंपनी के बीमा कंपनी में विलय का मार्ग भी प्रशस्त करता है, विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई, जिससे इसे संसद में पेश करने का रास्ता साफ हो गया। विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के अनुसार, इसके माध्यम से बीमा क्षेत्र की वृद्धि और विकास में तेजी लाना और पॉलिसीधारकों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
विधेयक पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा के लिए पॉलिसीधारक शिक्षा और संरक्षण कोष की स्थापना का प्रावधान करता है। इसमें कहा गया है कि इससे बीमा कंपनियों, मध्यस्थों और बाकी हितधारकों के लिए व्यापार करने में आसानी होगी, विनियमन बनाने में पारदर्शिता आएगी और क्षेत्र पर नियामक निगरानी बढ़ेगी। कंपनी के अध्यक्ष और बाकी पूर्णकालिक सदस्यों के कार्यकाल के संबंध में विधेयक पांच साल के कार्यकाल या उनके 65 साल की आयु प्राप्त करने तक का प्रावधान करता है।
वर्तमान में पूर्णकालिक सदस्यों के लिए ऊपरी आयु सीमा 62 साल है, जबकि अध्यक्ष के लिए ये 65 साल है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट भाषण में नई पीढ़ी के वित्तीय क्षेत्र संबंधी सुधारों के हिस्से के रूप में बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था।