Election: निर्वाचन आयोग पूरे देश में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की कवायद को चरणबद्ध तरीके से शुरू कर सकता है। इसकी शुरुआत उन कुछ राज्यों से होगी जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। अधिकारियों ने बताया कि आयोग उन राज्यों में मतदाता सूची को दुरुस्त नहीं करेगा, जहां स्थानीय निकाय चुनाव हो रहे हैं या होने वाले हैं, क्योंकि जमीनी स्तर की चुनावी मशीनरी इसमें व्यस्त है और संभवतः एसआईआर पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएगी।
असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 2026 में होने हैं। इन चार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी के अलावा, पहले चरण में कुछ अन्य राज्यों में भी मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण कराया जा सकता है, बिहार में मतदाता सूची को दुरुस्त करने का काम पूरा हो चुका है, जहां 30 सितंबर को लगभग 7.42 करोड़ नामों वाली अंतिम सूची प्रकाशित की गई थी।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बीते सोमवार को कहा था कि सभी राज्यों में एसआईआर की प्रक्रिया को काम जारी है और इसे शुरू करने पर अंतिम निर्णय आयोग द्वारा लिया जाएगा। बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कुमार ने कहा था कि चुनाव आयोग ने 24 जून को बिहार एसआईआर की शुरुआत करते हुए अखिल भारतीय स्तर पर एसआईआर की अपनी योजना की घोषणा की थी।
उन्होंने कहा था कि इस पर काम चल रहा है और तीनों आयुक्त विभिन्न राज्यों द्वारा अपनी-अपनी एसआईआर प्रक्रिया शुरू करने को लेकर तारीखों पर फैसला के लिए बैठक करेंगे। अधिकारियों के अनुसार, आयोग के शीर्ष अधिकारियों ने इस महीने की शुरुआत में हुए एक सम्मेलन में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) से अगले 10 से 15 दिनों में एसआईआर लागू करने के लिए तैयार रहने को कहा था।
लेकिन अधिक स्पष्टता के लिए, मतदाता सूची को दुरुस्त करने के लिए तैयार रहने हेतु 30 सितंबर की समय सीमा तय की गई थी। सभी सीईओ को निर्देश दिया गया है कि वे पिछले एसआईआर के बाद प्रकाशित अपने राज्यों की मतदाता सूची तैयार रखें। कई सीईओ ने अपने पिछले एसआईआर के बाद प्रकाशित मतदाता सूची को अपनी वेबसाइटों पर पहले ही डाल दिया है। दिल्ली के सीईओ की वेबसाइट पर 2008 की मतदाता सूची है, जब राष्ट्रीय राजधानी में आखिरी बार गहन पुनरीक्षण हुआ था।
उत्तराखंड में आखिरी बार पुनरीक्षण 2006 में हुआ था और उस वर्ष की मतदाता सूची अब राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर उपलब्ध है। राज्यों में अंतिम एसआईआर ‘कट-ऑफ’ तिथि के रूप में काम करेगी, ठीक उसी तरह जैसे बिहार की 2003 की मतदाता सूची का उपयोग चुनाव आयोग द्वारा गहन संशोधन के लिए किया गया था।
अधिकतर राज्यों में मतदाता सूची का आखिरी बार पुनरीक्षण 2002 और 2004 के बीच हुआ था। ज्यादातर राज्यों ने राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में अंतिम एसआईआर के अनुसार वर्तमान मतदाताओं का मिलान लगभग पूरा कर लिया है। एसआईआर का प्राथमिक उद्देश्य जन्म स्थान की जांच करके विदेशी अवैध प्रवासियों को बाहर निकालना है। इस कदम को विभिन्न राज्यों में बांग्लादेश और म्यांमार सहित अवैध विदेशी प्रवासियों पर कार्रवाई के मद्देनजर महत्वपूर्ण माना जा रहा है।