Election: भारत में लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार चरम पर होने के बावजूद मई में डीजल की बिक्री में गिरावट आई, जबकि पेट्रोल की खपत लगभग स्थिर रही, सार्वजनिक सेक्टर की कंपनियों की ओर से जारी शुरुआती आंकड़ों में यह बात सामने आई।
लोकसभा चुनाव के प्रचार के कारण ईंधन की मांग में वृद्धि हुई है, क्योंकि उम्मीदवार मतदाताओं तक पहुंचने के लिए बड़े पैमाने पर गाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि कंपनियों के बिक्री आंकड़े कुछ और बयां करते हैं।
आंकड़ों के अनुसार, बाजार के 90 प्रतिशत हिस्से को कंट्रोल करने वाली तीन सार्वजनिक सेक्टर की कंपनियों की पेट्रोल बिक्री मई के पहले पखवाड़े में 13.67 लाख टन रही। ये पिछले साल की समान अवधि में 13.6 लाख टन खपत के लगभग बराबर रही। हालांकि, महीने के आधार पर खपत 11 फीसदी बढ़ी है।
देश में एक से 15 मई के दौरान डीजल की बिक्री 1.1 प्रतिशत घटकर 32.8 लाख टन रही। इसकी खपत में अप्रैल में 2.3 फीसदी और मार्च में 2.7 फीसदी गिरावट आई थी। चुनाव प्रचार के अलावा, फसल कटाई का मौसम और तेज गर्मी का मौसम आने से कार में एसी अधिक चलाया जाता है, जिससे पेट्रोल-डीजल की खपत में बढ़ोतरी होनी चाहिए।
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में मार्च में दो-दो रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी। ये दो साल में पहला मौका था, जब कीमतों में बदलाव हुआ था। डीजल भारत में सबसे अधिक खपत वाला ईंधन है, जो सभी पेट्रोलियम उत्पादों की खपत का लगभग 40 फीसदी है, देश में कुल डीजल बिक्री में ट्रांसपोर्टेशन की हिस्सेदारी 70 फीसदी है।