Amit Shah: राज्यसभा में ‘भारत के संविधान की 75 साल की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर दो दिन तक चली चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कांग्रेस ने केवल सत्ता में बने रहने के लिए संविधान में कई संशोधन किए। उन्होंने कहा कि “संविधान में पहला संशोधन 18 जून, 1951 को हुआ था। ये संशोधन संविधान सभा में लाया गया था क्योंकि कांग्रेस के पास चुनाव के लिए इंतजार करने का धैर्य नहीं था। वहां कोई लोकसभा या राज्यसभा नहीं थी। इसके पीछे क्या मंशा थी?” अमित शाह ने कहा, “चुनाव हारने के डर से लोकसभा, विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाने के लिए (कांग्रेस द्वारा) 42वां संशोधन किया गया था। दुनिया में कहीं भी इतने मनमाने तरीके से कोई संशोधन नहीं किया गया।”
उन्होंने कहा कि ”जो लोग कहते थे कि इस देश में लोकतंत्र सफल नहीं होगा, मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि 75 साल हो गए, हमारे पड़ोसियों सहित कई देशों को आजादी मिली लेकिन वहां लोकतंत्र को कई बार चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन हमारे संविधान ने लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत किया और सत्ता का हस्तांतरण खून की एक बूंद बहाए बिना हुआ।”
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि “जो कहते थे लोकतंत्र इस देश में सफल नहीं होगा, मैं वो सभी लोगों को इस सदन के माध्यम से कहना चाहता हूं कि 75 साल हो गए हमारे साथ ही आस-पास में, दुनिया भर में, पड़ोस में कई लोग आजाद हुई, नई शुरुआत की वहां कई बार लोकतंत्र सफल नहीं हुआ, हमारा लोकतंत्र आज पाताल तक गहरा पहुंचा है, अनेक परिवर्तन रक्त की एक बूंद बहाए हमने करे हैं।”
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि “पहला संशोधन हुआ 18 जून, 1951 में संविधान सभा को ही ये संशोधन करना पड़ा क्योंकि संविधान बनाने के बाद, संविधान स्वीकारने के बाद आम चुनाव तक जाने का भी धैर्य कांग्रेस पार्टी में नहीं था। अबी लोकसभा नहीं बनी थी, अभी राज्यसभा नहीं बनी थी और संशोधन लेकर आए। अब उसका उद्देश्य क्या था, 19ए जोड़ा गया, वो किस लिए जोड़ा गया- अभिव्यक्ति की आजादी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम करने के लिए पहला सुधार आया। और किसने किया, उस वक्त प्रधानमंत्री कौन था? श्रीमान जवाहरलाल नेहरू उस वक्त प्रधानमंत्री थे।”
“ईवीएम ले लेकर घूमते हैं, हारते हैं और ईवीएम लेकर घूमते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 24 बार ईवीएम की अर्जी नकार दी, चुनाव आयोग ने ईवीएम तीन दिन 10 से पांच बजे तक रखा कि कोई ईवीएम है करके बताए। कोई गई नहीं गया, सुप्रीम कोर्ट में कोई नहीं गया और हारते हैं तो ईवीएम का दोष निकालते हैं।”
“42वें संशोधन से तीन जनवरी को लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं का सामान्य कार्यकाल पांच वर्ष से बढ़ा कर छह साल कर दिया। क्यों किया? क्योंकि अभी चुनाव होगा तो हम (कांग्रेस) हार जाएंगे इसलिए लोकसभा को ही लंबा करदो। इतनी निर्लज्जता के साथ विश्व में कोई संविधान संशोधन नहीं हुआ होगा।”