क्या है ‘अग्निपथ योजना’? अग्निवीर को मिलेगा ये लाभ

केंद्र सरकार सेना में चार साल के लिए युवाओं को अग्निवीर बनाने के लिए जिस अग्निपथ योजना को सामने लाई है उसे लेकर कई जगहों पर उग्र प्रदर्शन भी हो रहा है। कई जगहों पर आगजनी की घटनाएं भी हुई है। आठ रेल जला दी गई। इस योजना के विरोध में कुछ तर्क दिए जा रहे हैं । जिसमें कहा जा रहा है कि सेना की चार साल की नौकरी के बाद युवाओं के जीवन में असुरक्षा रहेगी। बेरोजगारी की स्थिति में वे अराजक भी हो सकते हैं। साथ ही इसके प्रति उन अभ्यर्थियों को भी नाराजगी है जिन्हें सेना में स्थाई नौकरी की अपेक्षा थी। इस बातों पर संवाद और बहस की गुजाइंश हो सकती है लेकिन इसके लिए उग्रता हिंसा और आगजनी को हथियार नहीं बनाया जा सकता। आखिर रेल पर गुस्सा क्यों। सर्वजनिक संपत्ति की तोड़फोड क्यों। इसे किसी भी रूप में उचित नहीं ठहराया जा सकता।

इस योजना को उन बदलते हालातों में भी देखा जाना चाहिए जहां दुनिया भर के देश अपने सैन्य क्षेत्र के ढर्रे में बदलाव कर रहे हैं। भारत ने भी इसी दिशा में एक कदम उठाया है। इसमें सेना के तीनों अंगो के लिए युवाओं की भर्ती होगी। इस युवाओं में 25 प्रतिशत युवाओं को क्षमता और दक्षता के आधार पर स्थाई किया जाएगा। इन युवाओं को भर्ती के समय 30 हजार का वेतन मिलेगा। साथ ही सैन्य परंपरा के मुताबिक वे शौर्य प्रदर्शन पर दूसरे सैनिकों की तरह अवार्ड पाने के हकदार भी होंगे। लेकिन बाकी युवाओं के लिए इसके बाद पुलिस सेवा, सशस्त्र बल आदि के विकल्प खुले हैं। एक तरह से अग्निपथ योजना युवाओं को दक्ष बनाएगी।  

युवाओं को सेवा मुक्ति के बाद जो लगभग ग्यारहा लाख की राशि मिलेगी उससे वो अपना स्वरोजगार भी शुरू कर सकते हैं। एक तरह से चार साल की यह सेवा .युवाओं को दक्ष और कार्य़कुशल बनाएगी। उनेक सामने नौकरी कारोबार पढाई के पूरे अवसर है। लेकिन जिन लोगों को अपने तर्कों पर यह योजना ठीक नहीं लग रही उनमें कई हिंसा और आगजनी पर उतर आए हैं। ऐसा भी नहीं कहा जा सकता है कि इस तरह के उपद्रव मचाने वालों में जिसमें कि रेल की बोगियां तक जला दी गई है उसमें समाज के अराजक तत्व शामिल न हो।

भारत की सैन्य शक्ति का अपना कौशल है अपनी क्षमता है लेकिन कहीं महसूस किया जा रहा है कि सेना को तकनीकी कौशल से दक्ष करने के साथ साथ सैनिकों की औसत आयु भी कम रखी जाए। साथ ही सेना के खर्च कम करने पर भी बहस होती रही है। अग्निवीरों एक तरह से सेना को युवा चेहरा देना है। इसी आधार पर एक साल में 46 हजार भर्तियां होंगी।

भारत सरकार ने तीनों सेनाओं में वेतन पेंशन आदि के खर्च को कम करने के उददेश्य से भी इस योजना को धरातल पर उतारा है। इसे बात से समझा जा सकता है कि भारत के रक्षा बजट में लगभग पांच लाख पच्चीस हजार करोड़ के रक्षा बजट में पेशन का हिस्सा 1 लाख 19 हजार करोड़ के आसपास है। माना भारत सेना के को  अब दक्ष सैनिक मिलेंगे। लेकिन जिस तरह कुछ लोग उग्रता हिंसा आगजनी पर उतर आए हैं  यह बहुत त्वरित प्रक्रिया है। खास बात यह है कि इसमें युवाओं को जबरन सैन्य सेवा के लिए घसीटा नहीं जा रहा है। अग्निवीर बनना या न बनना उनके विवेक और इच्छा पर निर्भर होगा। इस पूरे पहलू पर बहुत गंभीरता से सोचा जाना चाहिए। सरकार आगे के लिए रोजगार की पक्की गारंटी तो नहीं दे सकती लेकिन उन्हें कोई आश्वस्त करता हुआ  कोई खाका युवाओं के सामने होना ही चाहिए।

सेना को आधुनिक और सक्षम बनाने की दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं। यह माना जा रहा है तीनों सेनाओं को सैनिकों की बड़े स्तर पर जरूरत है। सरकार ने अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीरों की भ्रर्ती का विकल्प निकाला है। बेशक सेवा का यह अनुबंध चार साल का है। लेकिन इसके बाद भी अग्निवीरों के सामने कई विकल्प होंगे और कई जगहों में उन्हें वरियता और सुविधाएं मिलेंगी। समय के साथ कार्यशैली का ढर्रा भी बदलता है। तीनों सेनाओं को अग्निवीर मिलेंगे। चीन और पाकिस्तान में जिस तरह से प्रतिक्रिया आई है उसका संकेत यही है कि भारत की इस योजना से ये देश चौंके हैं। अग्निवीर बनना अनिवार्य नहीं है। इस नाते कुछ लोगों का आगजनी करके विरोध करने की कोई ठोस वजह नहीं दिखती।

अग्निपथ के अग्निवीर

यदि ड्यूटी के दौरान किसी अग्निवीर ने देश के लिए बलिदान दिया है तो उसके परिवार को पूरा इंश्योरेंस कवर मिलेगा। इसके अंतर्गत शहीद के परिवार को सेवा निधि सहित लगभग एक करोड़ रुपये की राशि मिलेगी। शहीद की बची हुई सेवा की पूरी सैलरी भी परिवार को मिलेगी। सेवा के दौरान अगर जवान दिव्यांग हो जाता है, तो दिव्यांगता के प्रतिशत के हिसाब से करीब 44 लाख रुपये तक दिए जाएंगे। इस स्थिति में भी सेवा निधि के अलावा बचे हुए सेवाकाल का पूरा वेतन जवान के परिवार को मिलेगा। रिटायर सैनिक को ताउम्र पेंशन मिलती है, जो अग्निवीर को नहीं मिलेगी। सभी अग्निवीरों को 48 लाख रुपये का इंश्योरेंस कवर भी दिया जाएगा।

भारतीय सेना का जवान यानी सैनिकके युद्ध में हताहत होने पर निकटतम संबंधियों को मिलेंगे ये लाभ

कर्तव्यपथ पर दुर्घटना के कारण यदि कोई जवान मारा जाता है, तो उसके परिवार को 25 लाख रुपये मिलते हैं।

आतंकवादियों द्वारा हिंसा की वारदातों आदि के कारण कर्तव्यपथ पर होने वाली मृत्यु के लिए 25 लाख रुपये मिलते हैं।

युद्ध में दुश्मन की कार्रवाई अथवा सीमा पर हुई झड़प, उग्रवादी व आतंकवादियों के खिलाफ किसी ऑपरेशन में अगर जान चली जाती है, तो शहीद के परिजनों को 35 लाख रुपये मिलते हैं।

प्राकृतिक आपदाओं, मुश्किल मौसमी हालात के कारण विशिष्ट अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों, दुर्गम सीमा चौकियों आदि में ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर 35 लाख रुपये दिए जाते हैं।

अंतरराष्ट्रीय युद्ध और विशेष रूप से अधिसूचित इस प्रकार के युद्ध जैसे अभियानों में दुश्मन की कार्रवाई के दौरान होने वाली मृत्यु पर 45 लाख रुपये दिए जाते हैं।

सेना युद्ध हताहत कल्याण निधि से युद्ध में हताहत ‘बीसी’ हुए सैनिकों के लिए अतिरिक्त अनुग्रह राशि दो लाख रुपये तय की गई है।

युद्ध में हताहत हुए सैनिकों के निकटतम संबंधियों को मिलते हैं ये लाभ   

उदारीकृत पारिवारिक पेंशन, जो मृतक व्यक्ति द्वारा आहरित अंतिम परिलब्धियों के बराबर होती है।

‘मृत्यु-सह-सेवानिवृति ग्रेच्युटी’, जो मृतक व्यक्ति द्वारा पूरी की गई सेवा अवधि और उसके द्वारा आहरित अंतिम परिलब्ध्यिों पर आधारित होती है।

सेना सामूहिक बीमा निधि के तहत अधिकारी को 75 लाख, जेसीओ/अन्य रैंक को 40 लाख रुपये मिलते हैं।

सेना सामूहिक बीमा मैच्योरिटी, जो मृतक सेना कर्मियों द्वारा किए गए अंशदान पर आधारित होती है।

सशस्त्र बल कार्मिक भविष्य निधि, जो मृतक सेना कर्मियों द्वारा किए गए अंशदान पर आधारित होती है।

सेना पत्नी कल्याण संघ निधि के अंतर्गत अधिकारी, जेसीओ व अन्य रैंक को 15 हजार रुपये।

सेना केंद्रीय कल्याण निधि से 2.50 लाख रुपये मिलते हैं।

मृत्यु संबद्ध बीमा योजना के तहत 60000 रुपये दिए जाते हैं।

अन्य लाभ

शिक्षा रियायत कार्ड

हवाई यात्रा रियायत कार्ड

टेलीफोन रियायत

निकटतम संबंधियों की पात्रता और योग्यता के अनुसार अनुकंपा के आधार पर नौकरी।

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