Vijay Diwas: 93 हजार सैनिक, 13 दिनों में रची विजय दिवस की कहानी

Vijay Diwas: हर साल 16 दिसंबर को भारत में विजय दिवस मनाया जाता है, आज ही के दिन साल 1971 में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऐतिहासिक युद्ध में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। इसी विजय के परिणामस्वरूप बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। यह युद्ध केवल हथियारों का संघर्ष नहीं था, बल्कि मानवता, न्याय और आत्मसम्मान की लड़ाई थी। भारतीय सशस्त्र बलों और बांग्लादेशी मुक्ति वाहिनी ने अद्वितीय साहस और बलिदान का परिचय देते हुए इस युद्ध को अंजाम तक पहुंचाया।

भारत-पाक युद्ध की जड़ें बंटवारे के बाद पूर्वी पाकिस्तान में पनप रहे राजनीतिक और सांस्कृतिक भेदभाव में थीं। वहां के नागरिकों पर अत्याचार, नरसंहार और मानवाधिकारों के उल्लंघन ने स्थिति को विस्फोटक बना दिया। 26 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान में स्वतंत्रता की मांग उठी, जिसे पाकिस्तान ने बलपूर्वक कुचलने की कोशिश की। ऐसे में मानवीय आधार पर भारत ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन किया।

13 दिन तक चले इस युद्ध में दुनिया के इतिहास का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था, जब पाकिस्तानी सेना के 93,000 सैनिकों ने हथियार डाल दिए. यह जीत भारतीय सैनिकों के साहस, रणनीति और मानवीयता की मिसाल है.

 1971 का युद्ध- 

3 दिसंबर 1971 को युद्ध शुरू हुआ और मात्र 13 दिनों में इतिहास रच दिया गया। 16 दिसंबर को ढाका में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना और मुक्ति वाहिनी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। लगभग 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों का समर्पण विश्व सैन्य इतिहास की सबसे बड़ी घटनाओं में दर्ज है।

बांग्लादेश को स्वतंत्रता-

इस युद्ध में भारत ने सैन्य और कूटनीतिक दोनों मोर्चों पर निर्णायक भूमिका निभाई। भारत ने न केवल बांग्लादेश की स्वतंत्रता में सहायता ही नहीं की, बल्कि लाखों शरणार्थियों को सुरक्षित आश्रय भी दिया। आज विजय दिवस भारतीय सेना के शौर्य, नेतृत्व और बलिदान को नमन करने का प्रतीक है।

 

 

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