Union Budget: कोंडापल्ली के लकड़ी के खिलौने निर्माताओं ने अपने उद्योग के लिए सरकार से मदद मांगी

Union Budget: आंध्र प्रदेश में कोंडापल्ली के कारीगर लकड़ी के खिलौने बनाने के लिए मशहूर हैं, इनके बनाए रंग-बिरंगे खिलौनों में बेहद बारीक काम होता है, केंद्रीय बजट 2025 से उनकी कुछ उम्मीदें हैं। कलाकारों को कच्चे माल की बढ़ती कीमत और बुनियादी ढांचे के अभाव का सामना करना पड़ रहा है। इस वजह से नई पीढ़ी में इस कला के प्रति रुझान कम होता जा रहा है। ये कलाकार सदियों पुरानी कला को महफूज रखने के लिए सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं।

खिलौने बनाने के लिए लकड़ी की कमी का सामना कर रहे कलाकारों ने सरकार से कम कीमत पर लकड़ी मुहैया कराने की मांग की है। वे चाहते हैं कि इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कौशल विकास और आर्थिक मदद भी दी जाए। कलाकारों की शिकायत है कि लकड़ी की कमी और बढ़ती लागत उनका परेशानियों की बड़ी वजह हैं। इस वजह से कुशल कलाकारों का पलायन हो रहा है, जिससे ये कला विलुप्त होने के कगार पर है।

यही वजह है कि इस कला की ओर नई पीढ़ी का भी रुझान कम हो रहा है, कुछ कारीगरों का यहां तक कहना है कि उन्हें प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से कोई फायदा नहीं हुआ है, जबकि योजना का मकसद पारंपरिक कला को संरक्षित करना है। लकड़ी के खिलौने बनाने वाले कलाकारों को उम्मीद है कि आने वाले केंद्रीय बजट में इस पारंपरिक कला के उद्धार के लिए पहल की जाएगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन एक फरवरी को बजट पेश करेंगी।

कलाकार “पिछले 15-20 साल से लकड़ी की भारी समस्या हो रही है। जो लकड़ी उपलब्ध है, उसकी कीमत काफी होती है। कुशल कलाकारों का पलायन हो रहा है, जिससे इस कला को आगे बढ़ाने में परेशानी आ रही है। कम कीमत पर लकड़ी, कौशल विकास और कर्ज की व्यवस्था इस उद्योग के संरक्षण में मददगार हो सकते हैं।”

“मेरा परिवार 60 साल से ज्यादा समय से इस काम में लगा है। संसाधन और समर्थन के अभाव में अगली पीढ़ी इसे अपनाना नहीं चाहती। लकड़ी की बढ़ती लागत, काम करने की जगह और सरकार से मदद की कमी की वजह से इस कला को जिंदा रखना मुश्किल हो रहा है। हमें बेहतर उपकरण और प्रशिक्षण चाहिए, ताकि इस कला की ओर नई पीढ़ी को बढ़ावा दिया जा सके। सरकार को इस कला के विकास के लिए बजट तय करना चाहिए।”

कोंडापल्ली टॉयज एसोसियेशन के अध्यक्ष येशुबाबू ने कहा कि “विश्वकर्मा योजना के तहत कर्ज का ऐलान किया गया, लेकिन उससे हमें कोई फायदा नहीं हुआ। प्रोत्साहन और प्रशिक्षण के अभाव में युवा पीढ़ी में इस कला के प्रति उत्साह नहीं है, सरकार को इसे बढ़ावा देने के लिए कर्ज देने की व्यवस्था करनी चाहिए।”

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