Tripura: कई इलाकों में बाढ़ में कमी, 15000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का अंदेशा

Tripura: त्रिपुरा में अब बाढ़ का पानी धीरे-धीरे कम हो रहा है तो राहत शिविरों में रह रहे लोग अब अपने अपने घरों की ओर वापस लौटने लगे हैं, बाढ़ की वजह से आई तबाही में घरों में रखे इलेक्ट्रोनिक सामान और फर्नीचर पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं। इसके अलावा घरों में जमा मलबे और मिट्टी की मोटी परत की सफाई भी लोगों के लिए अब बड़ी चुनौती बन गई है।

कुछ इलाकों में बाढ़ का पानी कम होने से लोगों ने राहत की सांस जरूर ली है लेकिन गुमटी नदी के पास के इलाकों में रह रहे लोग अभी भी परेशान हैं क्योंकि नदी जलस्तर अभी भी खतरे के निशान से ऊपर है, नदी के तेज बहाव ने सैकड़ों घरों को भारी नुकसान पहुंचाया है। जिससे इस इलाके के कई परिवारों को राहत शिविरों में रहना पड़ रहा है।

बाढ़ से संपत्ति और सामानों के नुकसान के अलावा, यहां पर पानी से होने वाली बीमारियों का संभावित खतरा भी लोगों को परेशान कर रहा है, लोग सरकार से अपील कर रहे हैं कि प्रभावित इलाकों में बीमारियों की रोकथाम के लिए मेडिकल कैंप लगाए जाएं।

बाढ़ ने न केवल रिहायशी इलाकों में तबाही मचाई है, बल्कि लोकल कारोबार पर भी इसका गंभीर असर पड़ा है। कई दुकानों, होटलों को भारी नुकसान पहुंचा है। अगरतला में पश्चिमी त्रिपुरा जिले के डीएम विशाल कुमार का कहना है कि पब्लिक प्रोपर्टी और इंफ्रास्ट्रक्चर को 600 से 800 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है साथ ही निजी संपत्तियों को भी उतना ही नुकसान होने की आशंका है।

बाढ़ पीड़ितों के लिए प्रशासन ने तेजी से राहत कार्य शुरू किया है। हालांकि प्रशासन का वादा है कि उनकी प्राथमिकता गरीबों और हाशिए पर रहने वाले पीड़ितों की मदद करना सबसे पहले रहेगी। त्रिपुरा में बाढ़ से करीब 15000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। हालांकि सार्वजनिक और निजी संपत्तियों के नुकसान का पूरा आकलन होने के बाद ये संख्या बढ़ सकती है।

बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि “जो इतना कीचड़ भर गया है, पानी आने के बाद, इतना कीचड़ है, तार-चार इंच पांच-पांच इंच, इससे ज्यादा कीचड़ है घरों में। तो उसको निकालने के लिए थोड़ा पानी चाहिए था, लेकिन पानी का व्यवस्था हम लोगों का नहीं है। आधा घंटा के लिए पानी आता है। एक घंटा के लिए चला जाता है। अगर थोड़ा पानी सप्लाई वाटर आ जाए, दो घंटे के लिए भी आ जाता, तीन घंटे के लिए आ जाता, तो उससे थोड़ा साफ-सफाई हो जाता घरों में। इतना गंदगी हो रहा है, बदबू मार रहा है। और उससे ज्यादा मेडिकल अफेक्टेड लोग है। बहुत लोग बीमार हो गए और इसमें थोड़ा छिड़काव होता ब्लीचिंग पाउडर का, थोड़ा हवा होता मच्छरों का, क्योंकि बहुत सारे कीड़े-मकोड़े घर में हैं।”

इसके साथ ही पश्चिमी त्रिपुरा जिला डीएम विशाल कुमार ने बताया कि “हमने नदी और झुग्गी-झोपड़ियों के पास, सबसे संवेदनशील जगहों पर ध्यान दिया है। हमारा मानना ​​है कि रिकवरी बहुत अच्छी और बहुत तेज होगी। हम यहां स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर रहे हैं। दूसरा, हमने नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है। खास कर उन जगहों पर, जहां गरीब लोगों की घनी आबादी है। जल्द आकलन किया जाएगा और सबसे पहले उन्हें राहत दी जाएगी। तीसरी बात ये है कि हम कुछ राहत दे रहे हैं, जैसे खाना पकाने का सामान, कपड़े और बर्तन, जो नया जीवन शुरू करने के लिए जरूरी हैं। दूसरे विभागों के साथ मिलकर हम कुछ नौकरियां देने पर भी विचार कर रहे हैं, खास कर 10 या 15 दिन के लिए।”

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