Tesla: इलेक्ट्रिक कार विनिर्माता कंपनी टेस्ला ने मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में अपना पहला ‘एक्सपीरियंस सेंटर’ खोलने के साथ ही आधिकारिक तौर पर भारत में प्रवेश किया। टेस्ला का मुख्यालय अमेरिका के ऑस्टिन में है, कंपनी ने अपने चीन के प्लांट से कारों का पहला सेट, मॉडल वाई रियर-व्हील ड्राइव एसयूवी भेज दिया है।
टेस्ला के मॉडल वाई की कीमत 60 लाख रुपये से ज़्यादा हो सकती है, जो इसे लग्ज़री सेगमेंट में ला खड़ा करती है। लॉन्च के मौके पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार चाहती है कि टेस्ला भारत में अपने अनुसंधान एवं विकास और विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करे। इलेक्ट्रिक कार निर्माता टेस्ला ने 40 हजार डॉलर से कम कीमत वाली कारों पर 70 फीसदी सीमा शुल्क और लग्जरी गाड़ियों पर 100 प्रतिशत सीमा शुल्क की भरपाई के लिए प्रारंभिक टैरिफ रियायत की मांग की थी।
हालांकि साल की शुरुआत में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि भारत अपनी नीतियों को टेस्ला के अनुरूप नहीं ढालेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अगर टेस्ला टैरिफ से बचने के लिए भारत में कारखाना लगाती है तो ये अमेरिका के लिए ठीक नहीं होगा। जानकारों का मानना है कि भारत के मूल्य संवेदनशील बाजार को आकर्षित करने के लिए टेस्ला को अपनी प्राइसिंग रणनीति पर दोबारा विचार करने की जरूरत पड़ सकती है।
फिर भी टेस्ला का भारत में कदम रखना भारत के प्रीमियम ईवी सेगमेंट में नई जान फूंक सकता है। उसका प्रवेश ऐसे वक्त में हुआ है जब कंपनी यूरोप और चीन में बिक्री में गिरावट का सामना कर रही है। ऐसे में उसके लिए भारत में महत्वपूर्ण नया मौका बन गया है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि “यह एक अच्छी शुरुआत है, लेकिन भविष्य में हम चाहते हैं कि सारा अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) और निर्माण कार्य भारत में ही हो।और मुझे यकीन है कि सही समय पर टेस्ला इस बारे में सोचेगी, लेकिन आज हमें बहुत खुशी है कि आप इस सफर की शुरुआत मुंबई से कर रहे हैं और मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं कि मुंबई और महाराष्ट्र आपके साथ बेहतर तरीके से पेश आएंगेे और आपको ऐसा अनुभव कराएंगे जैसे आप अपने घर पर हों। तो, एक बार फिर बधाई और मैं आपका स्वागत करता हूं और आपको विश्वास दिलाता हूं कि हमें अपनी यात्रा का भागीदार बनाएं। हमें आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद।”
इसके साथ ही ग्रीनफ्यूल एनर्जी सॉल्यूशंस एमडी अक्षय कश्यप ने कहा कि “ईवी के संदर्भ में, जब तक टेस्ला यह तय नहीं कर लेती कि वो भारत में निर्माण करेगी और भारत से ही सामान मंगवाएगी। मेरा मतलब है, एक कंपनी जो मेरे दिमाग में आती है, जो पहले से ही टेस्ला को आपूर्तिकर्ता है, वो है सोना – सोना कॉमस्टार। और, आप जानते हैं, जब तक वे अपने उत्पादन का ज़्यादातर हिस्सा ऑटोमोटिव इकोसिस्टम को आउटसोर्स नहीं करते और उसे आगे नहीं बढ़ाते, तब तक इसका असर बहुत ही सीमित रहेगा… और जैसा कि मैंने कहा, यह उनकी मूल्य निर्धारण स्थिति पर निर्भर करता है। वे शायद तब तक बड़े बाज़ार में नहीं होंगे जब तक कि वे वास्तव में, अपने कुछ वाहनों की कीमत कम न कर दें। इसलिए मुझे लगता है कि उन्हें वास्तव में मूल्य निर्धारण की स्थिति समझनी होगी।”
“अगर आप देखें तो टाटा और महिंद्रा की ज़्यादातर इलेक्ट्रिक गाड़ियां 10 लाख से 17 लाख रुपये की रेंज में हैं। और आज बाज़ार यहीं है। और वहां भी, पहुंच काफी कम है। इसलिए मुझे लगता है कि टेस्ला को अपनी कीमतों का सही आकलन करना होगा। हमें भारतीय उपभोक्ताओं को समझना होगा। हमें देखना होगा कि उनके वाहन भारतीय बुनियादी ढांचे पर कैसा प्रदर्शन करते हैं। भारतीयों की ड्राइविंग आदतों को देखकर ही यह कहा जा सकता है कि इसका दीर्घकालिक असर पड़ेगा। और एक ऑटोमोटिव इकोसिस्टम के तहत, उन्हें अपने पार्ट्स विक्रेता इकोसिस्टम को आउटसोर्स करने होंगे ताकि, उस इकोसिस्टम और क्षमताओं का निर्माण किया जा सके।”