Rural banks: ‘एक राज्य-एक आरआरबी’ एक मई से प्रभावी, 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण को मंजूरी

Rural banks: एक मई से देश के हर राज्य में एक ही क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) होगा, इस प्रस्ताव पर अमल के लिए वित्त मंत्रालय ने 11 राज्यों में 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण से संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण का ये चौथा चरण होगा जिसके पूरा होते ही आरआरबी की मौजूदा संख्या 43 से घटकर 28 रह जाएगी। वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक, देश के 11 राज्यों- आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान में मौजूद क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का एक इकाई में विलय किया जाएगा।

इस तरह ‘एक राज्य-एक आरआरबी’ के लक्ष्य को साकार किया जा सकेगा। अधिसूचना के मुताबिक, इन क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के विलय की प्रभावी तिथि एक मई, 2025 तय की गई है। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 की धारा 23ए(1) के तहत प्रदत्त शक्तियों के अनुरूप ये आरआरबी एक एकल इकाई में एकीकृत हो जाएंगे।

इसी क्रम में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, इंडियन बैंक और भारतीय स्टेट बैंक द्वारा प्रायोजित चैतन्य गोदावरी ग्रामीण बैंक, आंध्र प्रगति ग्रामीण बैंक, सप्तगिरि ग्रामीण बैंक और आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक को आंध्र प्रदेश ग्रामीण बैंक के रूप में मिला दिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मौजूद तीन-तीन आरआरबी का भी एकल इकाई में विलय किया जाएगा। उत्तर प्रदेश में मौजूद बड़ौदा यू.पी. बैंक, आर्यावर्त बैंक और प्रथमा यू.पी. ग्रामीण बैंक को उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक नाम की इकाई में मिला दिया गया है, जिसका मुख्यालय बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रायोजन के तहत लखनऊ में होगा।

पश्चिम बंगाल में संचालित बंगीय ग्रामीण विकास, पश्चिम बंग ग्रामीण बैंक और उत्तरबंग क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक को पश्चिम बंगाल ग्रामीण बैंक में मिला दिया जाएगा। इसके अलावा देश के आठ राज्यों- बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान में दो-दो आरआरबी को एक में मिलाया जाएगा। दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक को मिलाकर बिहार ग्रामीण बैंक बनेगा जिसका मुख्यालय पटना में होगा।

गुजरात में बड़ौदा गुजरात ग्रामीण बैंक और सौराष्ट्र ग्रामीण बैंक को मिलाकर गुजरात ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा। अधिसूचना के मुताबिक, सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पास 2,000 करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी होगी। एकीकरण के पहले इन क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में सरकार ने पूंजी भी डाली है। वित्त वर्ष 2021-22 में केंद्र ने दो साल की अवधि में अपने हिस्से के रूप में 5,445 करोड़ रुपये आरआरबी में डालने का फैसला किया था।

वित्त वर्ष 2023-24 में आरआरबी का प्रदर्शन कई मापदंडों पर ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया। आरआरबी ने उस साल 7,571 करोड़ रुपये का अबतक का सबसे अधिक एकीकृत शुद्ध लाभ दर्ज किया और उनका एकीकृत पूंजी पर्याप्तता अनुपात 14.2 प्रतिशत के सर्वकालिक उच्चस्तर पर था।

केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2004-05 में आरआरबी के संरचनात्मक एकीकरण की पहल की थी, इस सिलसिले में अबतक संचालित तीन चरणों में ऐसे संस्थानों की संख्या 2020-21 तक 196 से घटकर 43 रह गई थी। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का गठन आरआरबी अधिनियम, 1976 के तहत किया गया था। इनके गठन का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे किसानों, कृषि मजदूरों

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