RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपये के लिए कोई लक्षित स्तर या दायरा नहीं रखता और घरेलू मुद्रा को खुद ही अपना ‘सही स्तर’ खोजने की अनुमति देता है।
मल्होत्रा का ये बयान ऐसे समय में आया है जब रुपया इसी हफ्ते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90 के स्तर को पार कर अपने सबसे निचले भाव पर पहुंच गया, इसने 90.43 रुपये प्रति डॉलर का रिकॉर्ड निचला स्तर छुआ था। मल्होत्रा ने कहा, “हम रुपये के लिए मूल्य का कोई स्तर या दायरा नहीं रखते हैं। हम बाजारों को ही कीमतें तय करने देते हैं। लंबी अवधि में बाजार काफी प्रभावी होते हैं। ये एक बहुत बड़ा बाजार है।”
उन्होंने कहा कि बाजार में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं और आरबीआई की कोशिश हमेशा असामान्य या अत्यधिक उतार-चढ़ाव को कम करना होता है। आरबीआई ने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में इस महीने पांच अरब अमेरिकी डॉलर की तीन-वर्षीय डॉलर/रुपया खरीद-बिक्री अदला-बदली करने का फैसला किया है।
इस कदम पर मल्होत्रा ने कहा कि ये रुपये की गिरावट को रोकने की कोशिश नहीं है बल्कि ये एक नकदी उपाय है। ये कदम रुपये को समर्थन देने के लिए नहीं है।
आरबीआई डॉलर-रुपया खरीद-बिक्री अदला-बदली के तहत बैंकों से डॉलर खरीदता है और बाद में उन्हें वापस बेचने के लिए सहमत होता है। इसका मकसद रुपये में तरलता बढ़ाना, विनिमय दरों का प्रबंधन करना और बैंकों को विदेशी मुद्रा जरूरतों का प्रबंधन करने में मदद करना है।
मल्होत्रा ने कहा कि देश के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार हैं और चालू खाता भी संतुलित है। मजबूत आर्थिक बुनियादी ढांचे के चलते आगे अच्छी पूंजी प्रवाह की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष में तीन दिसंबर तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) में 70 करोड़ डॉलर की शुद्ध निकासी हुई है जो मुख्य रूप से इक्विटी खंड से निकासी का नतीजा है।
इसके अलावा, बाह्य वाणिज्यिक ऋण और गैर-निवासी जमा खाते में प्रवाह भी पिछले साल की तुलना में मध्यम रहा। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 28 नवंबर तक 686.2 अरब डॉलर पर था जो 11 माह से ज्यादा के आयात खर्च के लिए पर्याप्त है।