Rajnath Singh: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत आधुनिक हथियारों और तकनीक के मामले में पीछे रह गया था, लेकिन मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद रक्षा क्षेत्र ‘अभूतपूर्व’ गति से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा है।
राजनाथ सिंह ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मौजूदा दौर में युद्ध करने का तरीका तेजी से बदल रहा है और राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए उच्चस्तरीय तकनीक अपनाये जाने की जरूरत है। रक्षा मंत्री ने वैज्ञानिकों और इंजीनियरों से बदलते समय साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ‘क्वांटम कंप्यूटिंग’ जैसी अहम तकनीकों पर पकड़ मजबूत करने का आह्वान किया तथा उनसे भारत की विरासत को कभी न भूलने का आग्रह किया।
राजनाथ सिंह IIT दिल्ली में भारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी के वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ये विशिष्ट प्रौद्योगिकियां आने वाले समय में लगभग हर क्षेत्र को बड़े पैमाने पर प्रभावित करेंगी।
उन्होंने कहा, “अभी हम शुरुआती चरण में हैं। हमारा लक्ष्य सबसे पहले इन तकनीकों पर पकड़ मजबूत करना होना चाहिए, ताकि भविष्य में इनका उपयोग लोगों के कल्याण के लिए किया जा सके और उनकी तत्काल बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जा सके।”
राजनाथ सिंह ने कहा कि, दुनिया लगातार विकसित हो रही है और रक्षा क्षेत्र इस परिवर्तन से बचा नहीं रह सकता। उन्होंने आगे कहा, “भारत आज इनोवेशन और स्टार्ट-अप का केंद्र बन गया है, जिसकी वजह से हम लगातार तकनीकी कौशल हासिल कर रहे हैं। हम हमेशा अपने इंजीनियरों और इनोवेशन करने वालों के साथ खड़े रहेंगे। हमारे संयुक्त प्रयासों से हम ‘आत्मनिर्भर भारत’ के अपने सपने को साकार करेंगे।”
सिंह ने कहा कि भारत एक निर्णायक दौर से गुजर रहा है, क्योंकि वह उन हथियारों का भी निर्यात कर रहा है, जिनका वह कभी आयात करता था। उन्होंने इस ‘क्रांतिकारी परिवर्तन’ का श्रेय सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों, शिक्षाविदों, इंजीनियरों और नवोन्मेषकों के सामूहिक प्रयासों को दिया और विश्वास जताया कि देश जल्द ही वैश्विक क्षेत्र में एक सशक्त तकनीकी बढ़त हासिल कर लेगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि देश शीघ्र ही वैश्विक क्षेत्र में तकनीकी रूप से मजबूत बढ़त हासिल कर लेगा।
रक्षा मंत्री ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के सहयोग से देश के वैज्ञानिक विकास में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) की भूमिका की सराहना की. साथ ही उन्होंने उद्योग, अनुसंधान एवं विकास संगठनों और शिक्षाविदों के बीच और भी बेहतर संबंध स्थापित करने का आह्वान किया। रक्षा मंत्री ने कहा कि विकसित देशों में शैक्षणिक परिसर अग्रणी प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।