PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी जयप्रकाश नारायण और जनसंघ के नेता व समाजसेवी नानाजी देशमुख की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकनायक (जे.पी. नारायण) ने आम लोगों के सशक्तीकरण और संवैधानिक मूल्यों को मजबूत बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित किया।
उन्होंने कहा, “संपूर्ण क्रांति के उनके आह्वान ने एक सामाजिक आंदोलन प्रज्वलित किया जिसमें समानता, नैतिकता और सुशासन पर आधारित राष्ट्र की परिकल्पना की गई। उन्होंने अनेक जन आंदोलनों को प्रेरित किया, विशेष रूप से बिहार और गुजरात में जिससे पूरे भारत में सामाजिक-राजनीतिक जागृति आई।”
मोदी ने कहा कि इन आंदोलनों ने केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार को हिलाकर रख दिया, जिसने आपातकाल लागू कर संविधान को रौंद डाला था। प्रधानमंत्री ने ‘जेल डायरी’ का एक पन्ना पोस्ट किया, जो नारायण ने आपातकाल के दौरान जेल में रहते हुए लिखा था। इस डायरी में उन्होंने लोकतंत्र के प्रति अटूट विश्वास के बारे में लिखा था।
Paying homage to the great Nanaji Deshmukh on his birth anniversary. He was a visionary social reformer, nation builder and lifelong advocate of self-reliance and rural empowerment. His life was an embodiment of dedication, discipline and service to society. pic.twitter.com/uNbmTOHc2v
— Narendra Modi (@narendramodi) October 11, 2025
मोदी ने नारायण के लेख की पंक्तियों को रेखांकित करते हुए कहा, ‘‘भारतीय लोकतंत्र के ताबूत में ठोकी गई प्रत्येक कील मेरे दिल में ठोकी गई कील के समान है।’’ उन्होंने कहा कि लोकनायक जे.पी. भारत की सबसे निर्भीक हस्तियों में से एक थे और लोकतंत्र एवं सामाजिक न्याय के कट्टर समर्थक थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने देशमुख को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह एक दूरदर्शी समाज सुधारक, राष्ट्र निर्माता और आत्मनिर्भरता एवं ग्रामीण सशक्तीकरण के आजीवन समर्थक रहे।
मोदी ने कहा, उनका जीवन समर्पण, अनुशासन और समाज सेवा का प्रतीक है। देशमुख कुछ राज्यों व केंद्र की कांग्रेस सरकारों और आपातकाल के खिलाफ जे.पी. के नेतृत्व वाले आंदोलन में एक अग्रणी व्यक्ति थे और नारायण से बहुत प्रेरित थे। जे.पी. के प्रति उनका लगाव और युवा विकास, सेवा और राष्ट्र निर्माण के प्रति उनका दृष्टिकोण इस संदेश में देखा जा सकता है, जो उन्होंने जनता पार्टी के महामंत्री रहते हुए साझा किया था।”
इस संदेश में देशमुख ने राजनीति छोड़ने और सामाजिक कार्य करने के अपने फैसले की घोषणा की थी। कांग्रेस से मुकाबला करने के लिए जनसंघ समेत विभिन्न विपक्षी दलों के विलय के बाद जनता पार्टी का गठन हुआ था। बाद में 1980 में यह भारतीय जनता पार्टी बनी थी।