PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन को राष्ट्र के लिए एक बड़ी क्षति बताया है। उन्होंने सिंह की प्रशंसा करते हुए कहा कि साधारण पृष्ठभूमि से आने के बावजूद वह देश के कुछ सबसे महत्वपूर्ण पदों पर पहुंचे।
पीएम मोदी ने एक प्रतिष्ठित सांसद के रूप में उनकी सराहना करते हुए कहा कि सिंह का जीवन उनकी ईमानदारी और सादगी का प्रतिबिंब है। प्रधानमंत्री ने सुधारों के प्रति सिंह की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा कि देश के विकास में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि सिंह का जीवन भविष्य की पीढ़ियों के लिए हमेशा एक सीख के रूप में काम करेगा कि कैसे कोई व्यक्ति अभावों और संघर्षों से ऊपर उठकर सफलता की ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकता है।
पूर्व वित्त मंत्री और दो बार प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। मनमोहन सिंह, 2004 में देश के 14वें प्रधानमंत्री बने और मई 2014 तक इस पद पर दो टर्म रहे। वे देश के पहले सिख और चौथे सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “बहुत बड़ी क्षति है। विभाजन के उस दौर में बहुत कुछ खो कर भारत आना और यहां जीवन के हर क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करना, ये सामान्य बात नहीं है। अभावों और संघर्षों से ऊपर उठकर कैसे ऊचाईयों को हासिल किया जा सकता है। उनका जीवन ये सीख भावी पीढ़ी को देता रहेगा। एक नेक इंसान के रूप में, एक विद्वान अर्थशास्त्री के रूप में और रिफॉम के प्रति समर्पित लीडर के रूप उन्हे हमेशा याद किया जाएगा। एक अर्थशास्त्री के रूप में उन्होंने अलग-अलग स्तर पर भारत सरकार में अनेक सेवाएं दी। एक चुनौतीपूर्ण समय में उन्होंने रिजर्व बैंक की गवर्नर की भूमिका निभाई। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न पी. वी. नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने वित्तीय संकट से घिरे देश को एक नई अर्थव्यवस्था के मार्ग पर प्रशस्त किया।
प्रधानमंत्री के रूप में देश के विकास में और प्रगति में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।जनता के प्रति, देश के विकास के प्रति उनका जो कमिटमेंट था, उसे हमेशा बहुत सम्मान से देखा जाएगा। डॉ. मनमोहन सिंह जी का जीवन उनकी ईमानदारी और सादगी का प्रतिबिंब था। वो विलक्षण सांसद थे। उनकी विनम्रता, सौम्यता और उनकी बौद्धिकता उनकी संसदीय जीवन की पहचान बनी। मुझे याद है कि इस साल की शुरुआत में जब उनका कार्यकाल समाप्त हुआ तब मैंने कहा कि सांसद के रूप में डॉ. साहब की निष्ठा सभी के लिए प्ररेणा जैसी है। सत्र के समय अहम मौकों पर वो व्हीलचेयर पर बैठ कर आते थे। अपना संसदीय दायित्व निभाते थे। दुनिया के प्रतिष्ठित संस्थानों की शिक्षा लेने और सरकार के अनेक शीर्ष पदों पर रहने के बाद भी वो सामान्य पृष्ठभूमि के मूल्यों को कभी भी नहीं भूले।”