PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से इसमें रिसर्च और शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मराठी समेत चार अन्य भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने को मंजूरी दिए जाने के दो दिन बाद मुंबई में एक समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि ये मराठी भाषा के लिए एक “स्वर्णिम क्षण” है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि “मराठी एक ऐतिहासिक भाषा है जिसके ज्ञान स्रोतों ने कई पीढ़ियों का मार्गदर्शन किया है। मराठी भाषा ने वर्षों से साहित्य, धर्म, सामाजिक सुधार, स्वतंत्रता आंदोलन आदि को दर्शाया है। संस्कृति, इतिहास, साहित्य और लोक कला भाषा से जुड़ी हुई हैं।”
मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र सरकार ने हमेशा मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने को प्रोत्साहित किया है, उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार, मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई मराठी भाषा में भी की जा सकती है।
पीएम मोदी कहा कि केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने ये सुनिश्चित किया है कि अदालती फैसलों में मुख्य भूमिका मातृभाषा में दी जाए। उन्होंने कहा, “भाषा विचारों का माध्यम होनी चाहिए।”
ये देखते हुए कि अनुवाद भाषा की बाधा को तोड़ सकता है, मोदी ने दुनिया में भारतीय भाषाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग करने का प्रस्ताव रखा। मोदी ने कहा, “हर मराठी भाषी व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वे भाषा के विकास में योगदान दे।” अब तक भारत में छह शास्त्रीय भाषाएं थीं – तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओड़िया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “केंद्रीय सरकार द्वारा मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा दिया गया है। आज मराठी भाषा के इतिहास का स्वर्णिम अवसर है और मोरे जी ने बहुत बढ़िया तरीके से इसको सम-अप किया। इस निर्णय का, इस पल का महाराष्ट्र के लोगों को, मराठी बोलने वाले हर व्यक्ति को दशकों से इंतज़ार था।”
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि “साथियों, मराठी भाषा का इतिहास बहुत समृद्ध रहा है। इस भाषा से ज्ञान की जो धाराएं निकलीं, उन्होंने कई पीढ़ियों का मार्गदर्शन किया है, और वो आज भी हमें रास्ता दिखाती हैं। भारत के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास मराठी भाषा के योगदान से समृद्ध होता है। महाराष्ट्र के कई क्रांतिकारी नेताओं और विचारकों ने लोगों को जागरूक और एकजुट करने के लिए मराठी भाषा को माध्यम बनाया। लोकमान्य तिलक ने मराठी समाचार पत्र, केसरी के द्वारा विदेशी सत्ता की जड़ें हिला दी थी। मराठी में दिए गए उनके भाषणों ने जन-जन में स्वराज पाने की ललक जगा दी थी। मराठी भाषा ने न्याय और समानता की लड़ाई को आगे बढ़ाने में अहम योगदान दिया। गोपाल गणेश अगरकर ने अपने मराठी समाचार पत्र सुधारक द्वारा सामाजिक सुधारों के अभियान को घर-घर तक पहुंचाया। स्वतंत्रता संग्राम को दिशा देने में गोपाल कृष्ण गोखले जी ने भी मराठी भाषा को माध्यम बनाया।”