Monsoon: पिछले कुछ सालों से मानसून के समय हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। तेज बारिश के दौरान कभी बादल फटते हैं, भूस्खलन होते हैं और बाढ़ का सामना करना पड़ता है।
इस साल भी वही हाल है, सिर्फ हिमाचल प्रदेश में ही बाढ़ और भूस्खलन की वजह से अब तक 69 लोगों की जान जा चुकी है और 37 लोग लापता बताए जा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि “अभी तक बरसात में, जब से बरसात शुरू हुई है तकरीबन जो 69 लोग हैं, वो अपनी जान गंवा चुके हैं, 37 के करीब लोग हमारे मिसिंग हैं, 110 लोग घायल हुए हैं।”
हिमाचल प्रदेश ही नहीं, उत्तराखंड का भी यही हाल है, प्राकृतिक आपदा से इस साल यहां भी जान-माल का भारी नुकसान हुआ है, राज्य में एक जून से अब तक करीब 20 लोगों के मरने की खबर है। जानकारों का कहना है कि जल्दी-जल्दी बाढ़ आने और बाढ़ का प्रकोप बढ़ने की वजह जलवायु परिवर्तन है। इस वजह से दोनों पहाड़ी राज्यों में जान-माल का भारी नुकसान हो रहा है।
रुड़की सीबीआरआई के निदेशक डॉ. प्रदीप कुमार ने कहा कि “पहले जो बारिश होती थी, वो बहुत समय तक होती थी। अभी क्या है कि छोटे टाइम, कम समय होने के कारण फ्लैश फ्लड हो रहे हैं, पहाड़ी एरिया में जो ड्रेनेज चैनल है उसके जरिए आके जो भूस्खलन हो रहा है, जो रोड हैं या कुछ मकान हैं, तो उनको ज्यादा क्षति पहुंचने की न्यूज सुन रहे हैं।”
जानकारों का कहना है कि बादल फटने और भूस्खलन की पूर्व चेतावनी प्रणाली बेहद जरूरी है। इस सुविधा की पहुंच प्रभावित इलाकों के अधिकारियों तक होनी चाहिए, ताकि वह समय रहते रोकथाम के उपाय कर सकें। प्राकृतिक आपदा दोनों पहाड़ी राज्यों में ना सिर्फ इंसानों के लिए जानलेवा हैं, बल्कि बुनियादी सुविधाओं को भी भारी नुकसान पहुंचाते हैं। इनकी वजह से रोजमर्रे की जिंदगी थम जाती है।