Monsoon: दक्षिण-पश्चिम मानसून बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी हिस्सों, अंडमान सागर के दक्षिणी भाग, निकोबार द्वीप समूह और उत्तर अंडमान सागर के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ा है।
इन जगहों पर पश्चिमी हवा मजबूती से आगे बढ़ी है, जिससे आने वाले दिनों में ज्यादा बारिश की उम्मीद है। मौसम विभाग के क्षेत्रीय निदेशक नीता के. गोपाल ने कहा कि “मानसून अच्छी तरह आगे बढ़ रहा है। ये अंडमान सागर और दक्षिण खाड़ी के कुछ हिस्सों तक पहुंच गया है। ये पहला प्रवेश बिंदु है। हमने 13 मई को यहां पहुंचने का पूर्वानुमान लगाया है। आज, ये उम्मीद के मुताबिक पहुंच गया है। अगले चार से पांच दिन में ये उत्तर की ओर बढ़ेगा। ये अरब सागर के कुछ हिस्सों और बंगाल की खाड़ी के कुछ और हिस्सों को कवर करेगा और अंडमान द्वीप समूह और अंडमान सागर के ज्यादातर हिस्सों में प्रवेश करेगा।”
मौसम विभाग के मुताबिक मानसून के बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं। इसके एक जून की सामान्य तारीख से पहले 27 मई को केरल पहुंचने की संभावना है। तिरुवनंतपुरम मौसम विभाग के क्षेत्रीय निदेशक नीता के. गोपाल ने बताया कि “10 दिन में यह सामान्य रूप से केरल की मुख्य भूमि को छू सकता है। इसलिए इसके अच्छी तरह आगे बढ़ने की उम्मीद है। ये 27 मई को केरल की मुख्य भूमि में पहुंच सकता है, कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। हम अभी प्रवाह को बाधित करने के लिए कम दबाव जैसे किसी बड़े पैमाने पर प्रणालियों की संभावना नहीं देख रहे हैं।”
यदि मानसून उम्मीद के मुताबिक आता है, तो 2009 के बाद पहली बार समय से पहले भारत की मुख्य भूमि पर आने वाला मानसून होगा। अमूमन दक्षिण-पश्चिम मानसून एक जून तक केरल में और आठ जुलाई तक पूरे देश में आता है। इसके बाद 17 सितंबर तक उत्तर-पश्चिम भारत से और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है।
मौनसून देश की खेती के लिए महत्वपूर्ण है। देश की 42 फीसदी आबादी खेती पर निर्भर है, जिसका सकल घरेलू उत्पाद में योगदान 18 प्रतिशत है। इसके अलावा मानसून पीने के पानी के स्रोतों और बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को भी भरता है।